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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : प्रयागराज में यमुना नदी पर बना पुराना नैनी पुल, जिसे ‘यमुना का गहना’ कहा जाता है, सिर्फ लोहे और पत्थर की संरचना नहीं, बल्कि इतिहास, इंजीनियरिंग और गर्व का प्रतीक है। इस पुल का निर्माण ब्रिटिश इंजीनियर सिवले की देखरेख में हुआ था। इसकी डिजाइन पिता-पुत्र की जोड़ी—कंसल्टिंग इंजीनियर अलेक्जेंडर मीडोज रेंडेल और जेम्स मीडोज रेंडेल—ने तैयार की थी। चार साल की मेहनत के बाद तैयार हुआ यह पुल अपनी मजबूती और अनूठी बनावट के लिए मशहूर है।

15 अगस्त 1865 को इस पुल पर पहली ट्रेन दौड़ी थी, और इसी साल स्वतंत्रता दिवस के दिन यह पुल 160 साल का हो जाएगा। शुरू में इसे सिर्फ रेलवे के लिए बनाया गया था, लेकिन 1920 के दशक में इसके निचले हिस्से में सड़क जोड़ी गई, जिससे रेल और सड़क दोनों का आवागमन संभव हो गया।

1,040 मीटर लंबा यह पुल आज भी 200 से अधिक ट्रेनों और हजारों वाहनों का भार आसानी से सहन करता है, जबकि सामान्य पुल 50-60 साल में कमजोर पड़ने लगते हैं। अब इस पर शोध किया जाएगा ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इसकी मजबूती और ऐतिहासिक महत्व का अनुभव कर सकें। नैनी पुल सिर्फ इंजीनियरिंग का चमत्कार नहीं, बल्कि प्रयागराज की पहचान और गर्व का हिस्सा है।