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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के 93वें संस्थापक सप्ताह समारोह की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह वर्ष हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है। अगले छह वर्षों में परिषद अपने शताब्दी समारोह की ओर बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि आत्ममंथन केवल व्यक्तिगत विकास के लिए नहीं, बल्कि छात्र के सर्वांगीण विकास और समाज व राष्ट्र के प्रति हमारी जिम्मेदारी को समझने के लिए भी आवश्यक है। हमारे महापुरुष और देश की रक्षा के लिए जान देने वाले सैनिक हमें हमेशा प्रेरणा देते हैं।

राष्ट्र और संस्कृति की पहचान
सीएम ने बताया कि जैसे हर व्यक्ति की एक पहचान होती है, वैसे ही राष्ट्र की पहचान भी उसकी संस्कृति, परंपरा और महापुरुषों से बनती है। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद और देशभर में स्थापित अन्य संस्थाएं मार्गदर्शन का काम करती हैं। इस संस्था की स्थापना महंत दिग्विजयनाथ ने 1932 में की थी। आज 50 से अधिक संस्थाएं शिक्षण और प्रशिक्षण के क्षेत्र में योगदान दे रही हैं। समारोह में दो विशिष्ट पत्रिकाओं का विमोचन भी किया गया।

पंच प्रण और राष्ट्रनिर्माण
मुख्यमंत्री ने पंच प्रण की रूपरेखा बताते हुए कहा कि यह प्रत्येक नागरिक के जीवन में अपनाई जानी चाहिए:

विरासत पर गर्व – अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत पर गर्व महसूस करना।

गुलामी के अंश को समाप्त करना – अतीत में विदेशी लूट और गुलामी के मानसिक प्रभाव से मुक्त होना। उन्होंने बताया कि भारत की अर्थव्यवस्था पिछले 2,000 वर्षों में गिरकर बहुत कम रह गई थी, लेकिन पिछले 11 साल में भारत ने खुद को दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित किया है।

सैनिकों और जवानों का सम्मान – देश की रक्षा करने वाले जवानों के प्रति सम्मान और उनका योगदान याद रखना।

सामाजिक भेदभाव का अंत – समाज में भेदभाव और असमानता को खत्म करना।

नागरिक कर्तव्य का पालन – कानून और जिम्मेदारियों का पालन करना, चाहे वह शिक्षक, व्यापारी या जनप्रतिनिधि हो।

सीएम ने कहा कि इन पंच प्रणों को अपनाने से 140 करोड़ देशवासियों के लिए भारत एक विकसित और समान राष्ट्र बनेगा। यही भावना इस परिषद की स्थापना के पीछे भी रही।

मुख्य अतिथि का संदेश
आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, ले. जनरल योगेंद्र डिमरी, ने कहा कि प्रतियोगिताओं में भाग लेना ही महत्वपूर्ण है, जीतना या हारना अस्थायी है। उन्होंने विद्यार्थियों को आत्मविश्वास, अनुशासन, साहस और धैर्य के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि असफलता अनुभव और सीख देती है और हर चुनौती व्यक्ति को मजबूत बनाती है।

ले. जनरल डिमरी ने यह भी बताया कि ईमानदारी से पढ़ाई और दूसरों की मदद करना भी देशभक्ति का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि तकनीकी प्रगति हमारे जीवन को आसान बनाने के साथ भटका भी रही है, इसलिए मजबूत चरित्र और तकनीकी समझ दोनों आवश्यक हैं।

समारोह में परिषद के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के विद्यार्थियों ने शोभा यात्रा निकाली, जिससे इस अवसर की भव्यता और उत्साह बढ़ा।