img

Prabhat Vaibhav,Digital Desk : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते प्रभाव को ध्यान में रखते हुए अब इसे जिम्मेदार और टिकाऊ बनाने की दिशा में भारत ने अहम कदम उठाया है। देश ने ‘AI Responsible’ और ‘AI Sustainable’ जैसे मानकों के लिए एक व्यापक प्रोटोकॉल तैयार किया है, जिसमें IIT कानपुर की विशेष भूमिका रही है।

यह जानकारी भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) की उप महानिदेशक रीना गर्ग ने गुरुवार को IIT कानपुर में दी। वह वहां BIS द्वारा आयोजित एक कार्यशाला में भाग लेने पहुंची थीं, जिसका विषय था — "मानकों का स्टार्टअप और नवाचार पर प्रभाव"।

रीना गर्ग ने बताया कि भारत के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने कई महत्त्वपूर्ण वैश्विक मानकों के लिए प्रोटोकॉल तैयार किए हैं। इनमें से कई प्रस्ताव विचाराधीन हैं और जल्दी ही उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शामिल किए जाने की उम्मीद है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह सोच कि "भारत केवल वैश्विक मानकों का पालन ही नहीं करेगा, बल्कि खुद के मानक भी बनाएगा", अब धरातल पर उतर रही है। इसी दिशा में BIS ने देश के प्रमुख तकनीकी संस्थानों जैसे IITs के साथ मिलकर कार्य शुरू कर दिया है। IIT कानपुर के 87 शिक्षक इस परियोजना में सक्रिय रूप से सहयोग कर रहे हैं, और आने वाले समय में नवाचार करने वाले युवाओं व छात्रों को भी इससे जोड़ा जाएगा।

कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य यही था कि स्टार्टअप्स और इनोवेटर्स को यह बताया जाए कि वे अपने उत्पादों को डिज़ाइन के स्तर पर ही अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप तैयार करें। इससे न केवल उनके प्रोडक्ट बाजार में सफल होंगे, बल्कि वैश्विक मान्यता भी आसानी से मिल सकेगी।

IIT कानपुर में आयोजित इस कार्यशाला में स्टार्टअप इन्क्यूबेशन और इनोवेशन सेंटर के प्रतिनिधियों के अलावा 100 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम के आयोजन में अहम भूमिका निभा रहे IIT के रिसर्च एंड डिवेलपमेंट डीन प्रो. तरुण गुप्ता ने बताया कि यह एक ऐसा मंच बना, जहां युवा नवाचारकर्ताओं को मानकीकरण की अहमियत समझाई गई।

इस तरह भारत न सिर्फ AI के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ा रहा है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी मौजूदगी मजबूत कर रहा है।