समाजवादी पार्टी के नेता और योगी सरकार में पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य अपने बयानों की वजह से सुर्खियों में बने रहते हैं। कुछ महीनों पहले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस पर विवादित बयान दिया था। जिसके बाद वह भाजपा और हिंदू संगठनों के निशाने पर आ गए थे। एक बार फिर सपा नेता स्वामी प्रसाद ने उत्तराखंड में स्थित बाबा बद्रीनाथ धाम पर विवादित बयान देकर सियासी हलचल तेज कर दी है।
पिछले दिनों सपा नेता मौर्य ने बद्रीनाथ धाम को बौद्ध धर्म स्थल बताया था। सपा नेता के इस बयान पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कड़ी आपत्ति जताते हुए निशाना साधा है। शुक्रवार को सीएम धामी ने कहा कि बयान देने से पहले उन्हें सोचना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि बद्रीनाथ धाम दुनिया भर के लोगों की आस्था और श्रद्धा का केंद्र है और स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा दिया गया बयान बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
हालांकि वह जिस गठबंधन का हिस्सा हैं, उनके लिए ऐसे बयान देना स्वाभाविक है। सीएम धामी ने कहा कि वह जिस गठबंधन का हिस्सा हैं, उनके लिए ऐसे बयान देना स्वाभाविक है। जो लोग तुष्टिकरण में विश्वास करते हैं और लोगों को बांटने का काम करते हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने कहा कि महागठबंधन के एक सदस्य के रूप में समाजवादी पार्टी के एक नेता की ओर से दिया गया यह बयान कांग्रेस और उसके सहयोगियों की देश व धर्म विरोधी सोच को दर्शाता है।
आइए जानते हैं स्वामी प्रसाद मौर्य ने गुरुवार को बद्रीनाथ धाम को लेकर क्या कहा था। बता दें कि इन दिनों उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी में एएसआई के सर्वे को लेकर सियासत भी गर्व है। ज्ञानवापी में एएसआई के सर्वे को लेकर मौर्य ने एक चैनल में इंटरव्यू के दौरान यह बयान दिया था। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि 8वीं शताब्दी तक बद्रीनाथ धाम भी बौद्ध मठ हुआ करता था। आदि शंकराचार्य ने उसे हिन्दू मंदिर बना दिया। ऐसे में अगर किसी एक की बात चलेगी तो फिर सभी तीर्थस्थलों की बात चलेगी।
मौर्य ने कहा कि हम गढे़ मुर्दे उखाड़ना नहीं चाहते हैं इसलिए आज तक इस मुद्दे को नहीं उठाया है। मैं हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में सब भाई-भाई में विश्वास रखता हूं। हम आपसी भाईचारे और सौहार्द्र में भरोसा रखते है। हम समाज को बांटने में नहीं बल्कि जोड़ने में यकीन रखते हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि अगर एएसआई सर्वे हो ही रहा है तो वो सिर्फ ज्ञानवापी मस्जिद का ही नहीं होना चाहिए बल्कि जितने भी हिन्दू धार्मिक स्थल हैं, पहले उनकी भी जांच होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि जितने भी हिन्दू धार्मिक स्थल उनमें से अधिकांश मंदिर पहले बौद्ध मठ थे, उन्हें तोड़कर हिन्दू तीर्थ स्थल बनाया गया है। मौर्य ने कहा कि अगर गढ़े मुर्दे उखाड़ने की कोशिश की जाएगी तो बात बहुत दूर तक जाएगी। इसलिए 15 अगस्त 1947 तक जो स्थिति थी उसे ही माना जाए। सपा नेता मौर्य के इस बयान के बाद उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड तक सियासत गरमा गई है।