Prabhat Vaibhav,Digital Desk : दिल्ली में लाल किले के पास सोमवार शाम हुए धमाके की जांच अब प्रयागराज तक पहुंच गई है। शुरुआती जांच में सुरक्षा एजेंसियों को करेली इलाके में रहने वाले कुछ युवकों पर संदेह हुआ है, जो फिलहाल पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रह रहे हैं। बताया जा रहा है कि ये युवक पढ़ाई के बहाने वहां गए थे, लेकिन अब इनकी गतिविधियों को संदिग्ध माना जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, इन युवकों के नाम सुरक्षा एजेंसियों की वॉचलिस्ट में शामिल हैं। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि वे किसी संगठन के स्लीपिंग मॉड्यूल से जुड़े हैं या नहीं। खुफिया विभाग इन युवकों के सोशल मीडिया अकाउंट और संपर्कों की गहन जांच कर रहा है। प्रयागराज पुलिस भी अलर्ट पर है और करेली समेत संवेदनशील इलाकों में सघन चेकिंग शुरू कर दी गई है।
सोमवार शाम को दिल्ली के लाल किले के पास खड़ी एक कार में हुए धमाके में 11 लोगों की मौत हुई, जबकि कई लोग गंभीर रूप से घायल हैं। प्रारंभिक जांच में विस्फोटक पदार्थ के इस्तेमाल की पुष्टि हुई है। जांच के दौरान कई कड़ियाँ प्रयागराज के करेली इलाके से जुड़ती नजर आ रही हैं।
पहले भी करेली से जुड़ा रहा है आतंकी नेटवर्क
यह पहली बार नहीं है जब करेली का नाम आतंक से जुड़ा हो। तीन साल पहले इसी इलाके के मोहम्मद जीशान और उनके चाचा हुमेदुर रहमा को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और एटीएस ने संयुक्त छापेमारी में गिरफ्तार किया था। जांच में पता चला था कि जीशान ने पाकिस्तान में वही ट्रेनिंग ली थी जो आतंकी अजमल कसाब को दी गई थी। उसने विस्फोटक और हथियार चलाने की ट्रेनिंग के बाद प्रयागराज में हथियार छिपा रखे थे।
पहले भी प्रयागराज से मिले हैं धमाकों के तार
वर्ष 2013 में पटना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के दौरान हुए धमाके में भी प्रयागराज के दो युवकों की भूमिका सामने आई थी। एनआईए की जांच में पता चला था कि धमाके में इस्तेमाल जिलेटिन की छड़ प्रयागराज के चौक इलाके से खरीदी गई थी।
इसी तरह 2006 में वाराणसी के संकटमोचन मंदिर और कैंट रेलवे स्टेशन पर हुए सीरियल धमाकों के बाद प्रयागराज के फूलपुर निवासी वलीउल्लाह को एसटीएफ ने मास्टरमाइंड के रूप में गिरफ्तार किया था।
फिलहाल दिल्ली धमाके के बाद प्रयागराज समेत पूरे यूपी में सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर हैं। करेली और आसपास के क्षेत्रों में पुलिस ने निगरानी और चेकिंग बढ़ा दी है।




