
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : 13 जुलाई 2025 को सुबह 7:24 बजे न्याय के देवता शनि वक्री होकर मीन राशि में प्रवेश करेंगे। आइए जानते हैं इसका आपके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
मेष- 13 जुलाई 2025 से शनि आपकी कुंडली के बारहवें भाव में वक्री हो रहे हैं, जिसे खर्च, विदेश यात्रा और आत्मनिरीक्षण का भाव माना जाता है। यह समय पिछले कुछ महीनों से चल रहे अनचाहे खर्चों और मानसिक थकान से कुछ राहत दिला सकता है। विदेश यात्रा की योजना बनाने वालों के लिए अब अवसर बन सकते हैं, लेकिन योजना पक्की और व्यावहारिक होनी चाहिए। स्वास्थ्य में सुधार संभव है।
वृषभ राशि - शनि इस समय आपके लाभ भाव में वक्री है। इस गोचर का असर आपके सामाजिक दायरे, मित्रों और अचानक मिलने वाले लाभों पर पड़ेगा। पहले जो लाभ आसानी से मिल रहे थे, उनमें अब देरी हो सकती है या उम्मीदें पूरी नहीं हो सकती हैं। निवेश को लेकर आशंकाएं हो सकती हैं, लेकिन योजनाबद्ध तरीके से काम करना लंबे समय में फायदेमंद हो सकता है। कार्यस्थल पर आपको सहयोग कम मिल सकता है, इसलिए आत्मनिर्भरता पर जोर दें। स्वास्थ्य में थोड़ा उतार-चढ़ाव संभव है।
मिथुन- शनि आपके दशम भाव में वक्री हो रहा है जो कि करियर, पिता और सामाजिक प्रतिष्ठा से संबंधित है। यह समय करियर में कुछ रुकावटें, देरी या अनिश्चितताएं लेकर आ सकता है। हालांकि नुकसान की कोई संभावना नहीं है, लेकिन आपको दोगुनी मेहनत करनी पड़ सकती है।
कर्क राशि - भाग्य भाव में शनि का वक्री होना आपके लिए मिलाजुला समय लेकर आएगा। इस समय आपको भाग्य पर कम और कर्म पर अधिक भरोसा करना होगा। धार्मिक यात्रा या उच्च शिक्षा संबंधी कार्यों में विलंब हो सकता है, लेकिन प्रयास करते रहेंगे तो सफलता अवश्य मिलेगी। मानसिक रूप से आप भ्रमित हो सकते हैं।
सिंह- अष्टम भाव में वक्री शनि का गोचर स्वास्थ्य, अचानक होने वाली घटनाओं और गुप्त शत्रुओं से संबंधित है। पेट की समस्या, थकान या पुराने रोग फिर से उभर सकते हैं। कार्यस्थल पर अचानक परिवर्तन या असहज स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
कन्या- शनि सप्तम भाव में वक्री हो रहा है जो विवाह, साझेदारी और जनसंपर्क से संबंधित है। वैवाहिक जीवन में मतभेद की संभावना बढ़ सकती है। व्यावसायिक साझेदारी में संदेह या असहमति उत्पन्न हो सकती है। रिश्तों में लचीलापन बनाए रखना जरूरी है। स्वास्थ्य संबंधी मामलों में खान-पान पर विशेष ध्यान दें।
तुला- छठे भाव में वक्री शनि का गोचर रोग, ऋण और शत्रुओं से संबंधित है। कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए यह अच्छा समय है, लेकिन आपको अधिक मेहनत करनी होगी। शत्रु या प्रतिस्पर्धी सक्रिय हो सकते हैं, लेकिन आप अपनी बुद्धि से उन्हें परास्त करने में सफल रहेंगे।
वृश्चिक- पंचम भाव में शनि की वक्री चाल शिक्षा, संतान और प्रेम जीवन को प्रभावित कर सकती है। इस समय आपके विचार थोड़े भ्रमित हो सकते हैं। किसी नए कार्य की योजना बनाते समय सावधानी बरतें। छात्रों को ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई हो सकती है, जबकि संवादहीनता प्रेम संबंधों में समस्या पैदा कर सकती है।
धनु- चतुर्थ भाव में वक्री शनि का संबंध परिवार, माता, वाहन और निवास से है। घर में पारिवारिक तनाव हो सकता है। वाहन सावधानी से चलाएं और माता के स्वास्थ्य की अनदेखी न करें। स्थान परिवर्तन या कार्य में अस्थिरता हो सकती है।
मकर-शनि आपके तीसरे भाव में वक्री हो रहे हैं जो साहस, भाई-बहन और संचार से संबंधित है। कार्यकुशलता बनी रहेगी, लेकिन मानसिक अस्थिरता रह सकती है। भाई-बहनों से वाद-विवाद से बचें। यात्रा लाभकारी रहेगी, लेकिन थकान भी रह सकती है।
कुंभ-धन भाव में शनि का वक्री होना आपकी आर्थिक स्थिति और पारिवारिक माहौल को प्रभावित कर सकता है। धन संचय धीमा हो सकता है या अनावश्यक खर्च बढ़ सकते हैं। अगर आप अपने खान-पान के प्रति सावधान नहीं हैं, तो आपको गले या दांतों से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। पारिवारिक सौहार्द थोड़ा प्रभावित हो सकता है।
मीन- लग्न राशि में शनि का वक्री होना पूरे जीवन पर प्रभाव डालता है। इसका असर आत्मविश्वास, स्वास्थ्य और निर्णय लेने की क्षमता पर पड़ता है। इस समय आपको खुद से बहुत अधिक सवाल पूछने की आदत पड़ सकती है, जिससे आत्मविश्वास में कमी आ सकती है। किसी बात को लेकर मानसिक दबाव हो सकता है। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें और आलस्य से दूर रहें। आत्मचिंतन करें, लेकिन आत्म-निंदा से बचें।