Prabhat Vaibhav,Digital Desk : हरियाणा के भिवानी जिले के कहरानी औद्योगिक क्षेत्र में नींद की दवा एल्प्राजोलम के अवैध निर्माण का मामला सामने आने के बाद जांच एजेंसियों की कार्रवाई अब उत्तर प्रदेश तक चर्चा का विषय बन गई है। गुजरात एटीएस, जयपुर एसओजी और भिवानी पुलिस की संयुक्त छापेमारी में जिस फैक्ट्री का भंडाफोड़ हुआ, उसमें भदोही जिले के ऊंज थाना क्षेत्र के भैरापुर गांव निवासी अखिलेश मौर्य का नाम भी सामने आया है।
अखिलेश की गिरफ्तारी की खबर जैसे ही गांव पहुंची, पूरे इलाके में सन्नाटा छा गया। घर के लोग इस मामले पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं। पड़ोसियों के मुताबिक, किसी ने कभी यह नहीं सोचा था कि पढ़ा-लिखा और शांत स्वभाव का युवक इस तरह के मामले में फंस सकता है।
गांव के बंशीधर मौर्य बताते हैं कि अखिलेश ने इंटरमीडिएट की पढ़ाई विभूतिनारायण राजकीय इंटर कॉलेज, ज्ञानपुर से पूरी की थी। इसके बाद उसने काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय से रसायन विज्ञान (केमिस्ट्री) में एमएससी की डिग्री हासिल की। पढ़ाई पूरी करने के बाद उसे अपने बुआ के बेटे के जरिए एक निजी कंपनी में नौकरी मिली, जिसके चलते वह भिवानी चला गया।
वह अपनी पत्नी प्रियंका मौर्य और दो बेटियों के साथ भिवानी में ही रह रहा था। परिवार में चार भाइयों में अखिलेश दूसरे नंबर पर है। उसका बड़ा भाई मनोज मौर्य अहमदाबाद में काम करता है, तीसरे नंबर का भाई शरद कुमार मौर्य गुजरात में नौकरी करता है, जबकि सबसे छोटा भाई आशुतोष गांव में रहकर पिता पारसनाथ के साथ खेती-बाड़ी संभालता है।
परिवार की आर्थिक स्थिति सामान्य से बेहतर मानी जाती है। उनके पास चार से पांच बीघा कृषि भूमि है, घर में ट्रैक्टर और बोलेरो गाड़ी भी है। गांव वालों के अनुसार, परिवार का रहन-सहन ठीक है और सभी लोग मिलनसार स्वभाव के हैं। अब तक परिवार के किसी भी सदस्य का नाम किसी आपराधिक मामले में सामने नहीं आया था।
यही वजह है कि अवैध दवा निर्माण जैसे गंभीर आरोप में अखिलेश का नाम आने से गांव के लोग हैरान हैं। हर कोई यही सवाल कर रहा है कि आखिर अच्छी पढ़ाई और नौकरी के बाद वह ऐसे रास्ते पर कैसे चला गया। फिलहाल जांच एजेंसियां मामले की गहराई से पड़ताल कर रही हैं और आने वाले दिनों में और खुलासे होने की उम्मीद है।




