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Prabhat Vaibhav, Digital Desk: भारत रक्षा क्षेत्र में एक नई क्रांति की ओर बढ़ रहा है। DRDO के नेतृत्व में भारत ने रुद्रम मिसाइल, पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट सिस्टम और I-STAR खुफिया विमान जैसी स्वदेशी तकनीक विकसित करना शुरू कर दिया है। ये सभी हथियार न केवल भारत की सैन्य शक्ति को मजबूत कर रहे हैं बल्कि आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को भी साकार कर रहे हैं।

रुद्रम मिसाइल श्रृंखला भारत की पहली हवा से सतह पर मार करने वाली हाइपरसोनिक मिसाइल प्रणाली है। इसका नाम संस्कृत शब्द 'रुद्रम' से लिया गया है, जिसका अर्थ है "दुख का नाश करने वाला"। रुद्रम-1 एक सुपरसोनिक मिसाइल है जिसकी मारक क्षमता 200 किलोमीटर है और इसका मुख्य उद्देश्य दुश्मन के रडार और संचार प्रणालियों को नष्ट करना है। रुद्रम-2 एक हाइपरसोनिक मिसाइल है जिसकी मारक क्षमता 300 किलोमीटर है और इसका इस्तेमाल एंटी-रेडिएशन और स्ट्राइक मिशन दोनों में किया जा सकता है।

रुद्रम-3 की खूबियां 
रुद्रम-3 2 चरणों वाली हाइपरसोनिक मिसाइल है जिसकी मारक क्षमता 550 किलोमीटर तक है। इसका इस्तेमाल डीप पेनिट्रेशन स्ट्राइक यानी दुश्मन के इलाके में अंदर तक घुसकर हमला करने के लिए किया जाता है। इसका डिजाइन ऐसा है कि यह बहुत तेजी और सटीकता से काम करती है। रुद्रम-4 इस सीरीज की सबसे उन्नत मिसाइल है जो हाइपरसोनिक गति यानी मैक 5 से भी ज्यादा की गति से उड़ सकती है। इसे सुखोई-30, मिराज 2000 और संभवत: राफेल जैसे लड़ाकू विमानों के साथ एकीकृत किया जा सकता है। इसकी गति और चपलता इतनी ज्यादा है कि इसे पकड़ना या रोकना लगभग नामुमकिन है, चाहे दुश्मन का एयर डिफेंस सिस्टम कितना भी उन्नत क्यों न हो।

पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट सिस्टम का नया संस्करण 
पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट सिस्टम का नया संस्करण मार्क-3 और मार्क-4 है। पिनाका मार्क-3 की रेंज 120 किलोमीटर होगी और इसे अगले तीन साल में भारतीय सेना में शामिल कर लिया जाएगा। पिनाका मार्क-4 की रेंज 300 किलोमीटर होगी और इसे अगले पांच साल में तैनात किया जाएगा। इन दोनों रॉकेट सिस्टम में 250 किलोग्राम का वारहेड (विस्फोटक) होगा और ये गाइडेड तकनीक से काम करेंगे। डीआरडीओ की मदद से सोलर इंडस्ट्रीज जैसी निजी कंपनियां इसमें हिस्सा ले रही हैं, जिससे उत्पादन की रफ्तार बढ़ गई है। 300 किलोमीटर की रेंज वाला पिनाका बिना हवाई हमले के सीधे दुश्मन के मुख्यालय और रणनीतिक ठिकानों को निशाना बना सकता है

क्या है I-STAR विमान? 
तीसरी बड़ी सफलता I-STAR विमान है, जिसे भारतीय वायुसेना के लिए विकसित किया जा रहा है। इस पर करीब 10,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे। I-STAR का पूरा नाम है इंटेलिजेंस, सर्विलांस, टारगेट एक्विजिशन एंड रिकॉनिसेंस। दुश्मन की हर हरकत पर नज़र रखने के लिए इन विमानों में एडवांस सेंसर, कैमरे और रडार सिस्टम लगे होंगे। I-STAR विमान सीमा पर चौबीसों घंटे निगरानी करेगा और दुश्मन की हरकतों का पता लगाएगा, वो भी सीमा पार किए बिना। इससे भारत की डिजिटल युद्ध क्षमता यानी नेटवर्क केंद्रित युद्ध को और मजबूती मिलेगी।

स्वदेशी तकनीक पर आधारित 
इन सभी परियोजनाओं की खास बात यह है कि ये पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित हैं। इनका उत्पादन और तैनाती अब डीआरडीओ और निजी क्षेत्र की भागीदारी से तेजी से हो रही है। इससे न सिर्फ भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि हथियार निर्यातक बनने की दिशा में भी आगे बढ़ेगा। यह कहना गलत नहीं होगा कि रुद्रम, पिनाक और आई-स्टार सिर्फ रक्षा उपकरण नहीं हैं, बल्कि ये भारत के आत्मविश्वास, वैज्ञानिक प्रगति और रणनीतिक दूरदर्शिता का प्रतीक हैं। ये दुश्मन के लिए तो खतरा है ही, साथ ही दुनिया को यह संदेश भी देता है कि भारत अब रक्षा तकनीक का सिर्फ उपभोक्ता नहीं, बल्कि निर्माता और साझेदार भी है।