धर्म डेस्क। विश्व प्रसिद्ध मंदिर तिरुपति बालाजी में बनने वाले प्रसाद ( लड्डू प्रसादम ) में जानवरों की चर्बी का मामला तूल पकड़ चुका है। मंदिर में बनने वाला लड्डू प्रसादम भगवान को भोग के तौर पर चढ़ाया जाता है और फिर लोगों में प्रसाद के तौर पर वितरित किया जाता है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने पूर्ववर्ती सरकार के समय तिरुपति मंदिर के लड्डुओं में जानवरों की चर्बी मिली होने का पुख्ता दावा किया था। इसके बाद से ही लाखों लोग आहत हैं। तमाम लोग खुद को अपवित्र मान रहे हैं।
ऐसे आस्थावानों को ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज ने सहज उपाय बताया है। इस सन्दर्भ में शंकराचार्य जी के आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी ने बालाजी लड्डू प्रकरण पर टिप्पणी की है। इसमें उन्होंने चर्बी वाला प्रसाद खाने वालों के लिए प्रायश्चित करने के सरल उपाए सुझाये हैं।
वायरल वीडियो में शंकराचार्य कहते हैं कि पूरे देश को लोग हमसे सवाल कर रहे हैं कि हमने भी मंदिर का लड्डू खाया है। अब हम क्या करें? हम भी अपवित्र हो गए हैं और खुद को पवित्र करने के लिए क्या करें? इस पर शंकराचार्य ने प्रायश्चित करने का एक तरीका बताया है। शंकराचार्य जी कहते हैं - 'ॐ यत्व्य गति गतं पापं। तिष्ट्ता मामवे। प्राश नाम पंच् गव्याच। दहत्वग्नी रिवेंर्दम।।'
दरअसल, शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती लोगों को पंचगव्य का प्राशन करने की बात कह रहे हैं। वो कहते हैं कि हमारे यहां पहले से शास्त्रों में व्यवस्था दी है कि अगर भूल-चूक से कोई दोष शरीर में प्रवेश कर जाए और अस्थीअर्थात हड्डी तक भी पहुंच गया है, तो पंचगव्य का पान करने से शरीर के अंदर की अपवित्रता या पाप का शमन हो जाता है। पंचगव्य के प्राशन से और गौ माता की कृपा से आपका शरीर शुद्ध हो जाएगा और सारे पाप धूल जाएंगे।
उल्लेखनीय है कि पंचगव्य गाय से प्राप्त पांच चीज़ों के मिश्रण दूध, घी, दही, गोबर और गोमूत्र से बनता है। सनातन धर्म में पंचगव्य का विशेष महत्व है। सनातन परंपरा में पंचगव्य के बिना कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य संपन्न नहीं होता है।