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सरकार की नई सोच के अनुसार प्रदेश के लगभग 40 लाख परिवारों को, जिन्हें पहले हर महीने प्रति व्यक्ति पांच किलो गेहूं दिया जाता था, अब अतिरिक्त वस्तुएँ भी दी जाएँगी। इनमें शामिल हैं:
- एक लीटर सरसों का तेल
- दो किलो चीनी
- एक किलो चायपत्ती
- दो किलो दाल
- 200 ग्राम हल्दी
यह योजना अगले साल से लागू होने का अनुमान है और राशन हर तिमाही यानी अप्रैल, जुलाई, अक्टूबर और दिसंबर में दिया जाएगा। अनुमानित खर्च लगभग एक हजार करोड़ रुपये है और इसे मार्च में पेश होने वाले बजट में शामिल किया जाएगा।
अरविंद केजरीवाल आज पंजाब में
सूत्रों के अनुसार आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल शुक्रवार को पंजाब पहुंचेंगे। मुख्यमंत्री भगवंत मान के मुख्य सचिव केएपी सिन्हा उनसे योजना के विवरण पर चर्चा करेंगे। हालांकि अभी स्पष्ट नहीं है कि केजरीवाल पंजाब में क्या खास चर्चा करेंगे।
आपने विधानसभा चुनाव से पहले लोगों को कई गारंटियां दी थीं, जिनमें 300 यूनिट निश्शुल्क बिजली और महिलाओं को हर महीने एक हजार रुपये देने का वादा भी शामिल था। 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री मान ने कहा था कि यह वादा अब पूरा नहीं हो सका है, इसलिए महिलाओं को 1,100 रुपये देने का विकल्प रखा गया है।
लेकिन वित्तीय स्थिति के कारण यह चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। वित्त विभाग के आंकड़ों के अनुसार, अगर सभी महिलाओं को 1,100 रुपये दिए जाएँ तो राज्य खजाने पर अतिरिक्त 17 हजार करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। इतना पैसा जुटाना सरकार के लिए मुश्किल है, खासकर जब कर्मचारियों को वेतन देने की जिम्मेदारी भी है।
राशन योजना की पृष्ठभूमि
सफल राशन योजना की शुरुआत 2007 में अकाली-भाजपा सरकार ने की थी। योजना के तहत प्रति किलो आटा 4 रुपये और दाल 20 रुपये में देना था। लेकिन दस साल के कार्यकाल में यह योजना पूरी तरह से लागू नहीं हो पाई।
इस योजना से मार्कफैड और पनसप जैसी एजेंसियों पर करोड़ों का कर्ज पड़ा, जिनसे ये आज भी उबर नहीं पाई हैं। पनसप पर 900 करोड़ रुपये का कर्ज है और इसे हर महीने 5.25 करोड़ रुपये ब्याज देना पड़ता है। अब यह देखना होगा कि नए योजना के लिए एक हजार करोड़ रुपये का बोझ कौन संभालेगा।
 
                     
                      
                                         
                                 
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