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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : पंजाब, एक ऐसा राज्य जो अपनी रंगीन संस्कृति और वीर परम्पराओं के लिए जाना जाता है, इन दिनों ड्रग्स की गंभीर समस्या से जूझ रहा है। लेकिन अब यहां की सरकार और प्रशासन ने इस 'नशे के राक्षस' से लड़ने के लिए एक नया और प्रभावी रास्ता अपनाया है – खेलों का सहारा! युवाओं को नशे की गर्त से निकालने और उन्हें एक सकारात्मक दिशा देने के लिए राज्यभर में खेल ढांचों को मजबूत किया जा रहा है और खेल गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है।

सरकार की यह पहल क्यों अहम है?

इस पहल का मुख्य मकसद यह है कि जो युवा नशे के दलदल में फंस रहे हैं, या फंसने की कगार पर हैं, उन्हें खेलों से जोड़ा जाए। जब युवा मैदानों पर पसीना बहाते हैं, तो उनका ध्यान नशे से हटकर स्वस्थ शरीर और प्रतिस्पर्धा की ओर जाता है। खेल उन्हें अनुशासन, टीम वर्क और जीत के लिए जुनून सिखाते हैं, जो एक रचनात्मक जीवन के लिए बेहद ज़रूरी है।

बताया जा रहा है कि इस दिशा में काम तेजी से हो रहा है। पंजाब सरकार हर गांव, कस्बे और शहर में नए खेल स्टेडियम बनाने, पुराने खेल परिसरों को अपडेट करने और पर्याप्त खेल सुविधाएं मुहैया कराने पर जोर दे रही है। यह सिर्फ इमारतें बनाने जैसा नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा वातावरण बनाने की कोशिश है जहां युवा अपना भविष्य खेल में देखें, न कि नशे में।

स्थानीय प्रशासन, पुलिस और खेल विभाग मिलकर इस मुहिम को सफल बनाने में जुटे हैं। विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है ताकि युवाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने और स्वस्थ गतिविधियों में भाग लेने का मौका मिल सके। गांव-गांव में टूर्नामेंट हो रहे हैं, स्पोर्ट्स अकादमियां खुल रही हैं और कोच भी प्रशिक्षित किए जा रहे हैं।

यह सच है कि पंजाब में ड्रग्स की चुनौती बहुत बड़ी है, लेकिन यह 'खेल-केंद्रित' दृष्टिकोण उम्मीद की एक नई किरण लेकर आया है। अगर युवा अपनी ऊर्जा को खेल जैसे सकारात्मक कार्यों में लगाएंगे, तो वह दिन दूर नहीं जब पंजाब एक बार फिर से 'खेड़ता पंजाब' (खेलता पंजाब) बन जाएगा, जहां नशे की जगह खुशहाली और तरक्की होगी। यह केवल ड्रग्स के खिलाफ एक लड़ाई नहीं, बल्कि युवाओं के भविष्य और राज्य की गरिमा को बचाने की एक अहम मुहिम है।