
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तर प्रदेश में बिजली वितरण के निजीकरण को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम के 42 जिलों में बिजली व्यवस्था को निजी हाथों में सौंपे जाने के प्रस्ताव पर गंभीर आपत्ति जताई है।
परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने बुधवार को विद्युत नियामक आयोग में जनहित याचिका दाखिल करते हुए मांग की कि इस निजीकरण से जुड़े पूरे मसौदे को सार्वजनिक किया जाए, ताकि आम जनता को भी इसकी जानकारी हो सके।
वर्मा का कहना है कि जिस तरह से यह मसौदा तैयार किया गया है, उससे साफ झलकता है कि इसका मकसद कुछ खास निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाना है। उन्होंने इसे एक 'घोटाले जैसा प्रस्ताव' बताते हुए कहा कि यह पूरी प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है और इसमें जनहित की अनदेखी की गई है।
उन्होंने इस पूरे मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच कराए जाने की मांग भी रखी है। परिषद का मानना है कि यदि इस मसौदे को बिना संशोधन के लागू किया गया तो इसका खामियाजा राज्य के लाखों बिजली उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ सकता है।
अब देखना होगा कि आयोग इस जनहित प्रस्ताव पर क्या रुख अपनाता है और क्या मसौदे को सार्वजनिक कर जनता के सवालों का जवाब दिया जाता है।