Prabhat Vaibhav,Digital Desk : गंगा तट पर बसा हरिद्वार हमेशा से आस्था और श्रद्धा का केंद्र रहा है, लेकिन स्वच्छता बनाए रखना यहां प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती रही है। अब जिला प्रशासन ने इस चुनौती से निपटने के लिए एक ठोस और आधुनिक अभियान शुरू किया है। लक्ष्य है – अर्धकुंभ 2027 से पहले हरिद्वार को साफ-सुथरा और आकर्षक बनाना, ताकि देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को एक सुंदर और सुखद अनुभव मिल सके।
नगर निगम ने शहर की सफाई व्यवस्था को तकनीक से जोड़ते हुए सभी कूड़ा वाहनों पर जीपीएस सेंसर लगाए हैं। इससे अब हर वाहन की निगरानी रीयल टाइम में होगी। वाहन किस रूट से कचरा उठा रहा है और कहां लापरवाही हो रही है, यह जानकारी तुरंत कंट्रोल रूम तक पहुंच जाएगी।
प्लास्टिक बोतलों पर क्यूआर कोड और रिसाइकल सिस्टम
केदारनाथ की तर्ज पर अब हरिद्वार में भी प्लास्टिक बोतलों और रैपरों पर क्यूआर कोड लगाने की योजना शुरू की गई है। श्रद्धालु इन बोतलों को निर्धारित रिसाइकल प्वाइंट पर डालकर बदले में कुछ धनराशि वापस पा सकेंगे। इस पहल से घाटों और गंगा तट पर प्लास्टिक कचरे में भारी कमी आने की उम्मीद है।
प्लास्टिक पन्नी पर सख्त रोक
हरिद्वार के प्रमुख घाटों, खासकर हरकी पैड़ी पर श्रद्धालु स्नान के समय प्लास्टिक पन्नी बिछाकर बैठते हैं, जिसे बाद में वहीं छोड़ देते हैं। इससे घाटों पर प्लास्टिक कचरे का ढेर लग जाता है। अब प्रशासन ने प्लास्टिक पन्नी बिछाने और उपयोग करने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की तैयारी की है।
इंदौर मॉडल पर कचरा प्रबंधन
हरिद्वार अब इंदौर की तर्ज पर वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम अपना रहा है। हर दुकान, रेहड़ी और ठेली वाले को अपने पास कूड़ादान रखना अनिवार्य किया गया है। रोजाना कचरा निर्धारित संग्रहण वाहन में डालना होगा, ताकि सड़क और नालियों में गंदगी फैलने से रोकी जा सके। नियम तोड़ने वालों पर 200 से 5000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा रहा है।
नगर निगम के अनुसार, हर दिन शहर से 200 से 220 मीट्रिक टन कचरा एकत्र किया जा रहा है, जिसमें लगभग 30-40 प्रतिशत प्लास्टिक का होता है। इसे सराय ट्रेंचिंग ग्राउंड में निस्तारित किया जाता है।
कोर एरिया में सुंदरता और सुविधा पर फोकस
जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि अर्धकुंभ के लिए हरिद्वार के कोर एरिया में सुंदरीकरण, यात्री सुविधाएं और वेस्ट मैनेजमेंट पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उनका कहना है,
“हमारा उद्देश्य है कि धर्मनगरी में प्रवेश करते ही लोगों को एक स्वच्छ, व्यवस्थित और मनमोहक वातावरण मिले। स्वच्छ हरिद्वार सिर्फ सरकारी नहीं, बल्कि जनसहयोग से ही संभव होगा।”




