
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : ओडिशा के पवित्र तटीय शहर पुरी में 27 जून को भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा का शुभारंभ हुआ। हर साल की तरह इस बार भी यह आयोजन श्रद्धा और भक्ति का एक अद्वितीय संगम बन गया, जिसमें लाखों भक्तों की भागीदारी ने इसे और भी भव्य बना दिया।

शुक्रवार सुबह से ही भक्तों का जनसैलाब पुरी की सड़कों पर उमड़ पड़ा। हर ओर हरि नाम की गूंज और रथों की भव्यता ने एक दिव्य वातावरण रचा। भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की मूर्तियों को विशाल और भव्य रथों में विराजमान किया गया, जिन्हें भक्तगण खींचते हुए गुंडिचा मंदिर की ओर ले गए।
गुंडिचा मंदिर में तीनों देवता एक सप्ताह तक विश्राम करेंगे, जिसके बाद वे पुनः जगन्नाथ मंदिर लौटेंगे। इस संपूर्ण यात्रा को "बहुड़ा यात्रा" कहा जाता है।

रथ यात्रा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह सांस्कृतिक रंगों से भी सजी होती है। पारंपरिक ओडिसी नृत्य ने इस आयोजन को और यादगार बना दिया। कलाकारों ने रथों के सामने अपनी प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
प्रसिद्ध रेत कलाकार सुदर्शन पटनायक ने पुरी समुद्र तट पर भगवान जगन्नाथ की 101 रेत मूर्तियाँ बनाकर इस अवसर पर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने इस अद्भुत कला के माध्यम से भक्तों को रथ यात्रा की शुभकामनाएं भी दीं।
देश और विदेश से आए श्रद्धालुओं की आस्था, कलाकारों की प्रस्तुति और रथों की दिव्यता ने इस आयोजन को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महोत्सव में बदल दिया। पुरी की रथ यात्रा एक बार फिर यह सिद्ध कर गई कि आस्था की डोर कितनी मजबूत होती है, जो लाखों लोगों को एकजुट कर देती है।