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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : चमोली जिले में जंगलों को आग से बचाने के लिए 5,184 हरे पेड़ों को काटने का निर्णय लिया गया है। यह कार्य 20 मीटर चौड़ी और 20 किलोमीटर लंबी फायर लाइन बनाने के लिए किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने इस योजना को मंजूरी दे दी है।

प्रथम चरण में केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग से इस पर काम शुरू हो गया है। हालांकि, फायर लाइन पहले भी मौजूद थी, लेकिन 1980 के दशक में सुप्रीम कोर्ट ने हरे पेड़ों के कटान पर रोक लगा दी थी। परिणामस्वरूप, पुरानी फायर लाइन घने जंगल का रूप ले चुकी थी।

वन विभाग और वन पंचायतों की सक्रियता के बावजूद जंगलों में आग लगने की घटनाएँ लगातार बनी हुई हैं। हर साल जंगलों में लगी आग से कई करोड़ रुपये की वन संपदा नष्ट होती है और वन्य जीवों का जीवन भी संकट में पड़ता है। इससे पर्यावरणीय असंतुलन पैदा होकर मानव जीवन पर भी असर पड़ता है।

केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग चमोली से रुद्रप्रयाग तक फैला हुआ है। इसमें अति-संवेदनशील बफर जोन चोपता और उच्च हिमालयी क्षेत्र शामिल हैं।

वन विभाग के पास आग बुझाने के सभी संसाधन उपलब्ध हैं और फायर लाइन बनाने की यह योजना इसे और अधिक कारगर बनाएगी। इस कटाई में अधिकांश पेड़ चीड़ के हैं और उनके कटान का जिम्मा वन निगम को सौंपा गया है।

फायर लाइन तैयार होने के बाद, वनकर्मी सूखी चारापत्ती और अन्य पत्तियों को फायर सीजन से पहले साफ करेंगे, ताकि आग जंगलों में फैलने से रोकी जा सके। इस कार्य को फायर सीजन शुरू होने से पहले पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

सर्वेश कुमार दूबे, प्रभागीय वनाधिकारी, केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग, गोपेश्वर ने बताया कि पुरानी फायर लाइनें पहले भी आग से बचाव के लिए बनाई जाती थीं, लेकिन अब नई फायर लाइन को केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार चुना गया है ताकि यह अधिक प्रभावी साबित हो।