
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : पंचांग के अनुसार, धूमावती जयंती जेठ शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है, जो आज मंगलवार, 3 जून 2025 को है। मान्यता है कि इस दिन देवी धूमावती का जन्म हुआ था। देवी धूमावती की पूजा करने से नकारात्मकता दूर होती है और शत्रुओं का नाश होता है।
विवाहित महिलाएं अपने पति के अखंड सौभाग्य और लंबी आयु के लिए बहुत सारे व्रत रखती हैं। वे हमेशा सुखी वैवाहिक जीवन की कामना भी करती हैं। लेकिन विवाहित महिलाएं कभी भी देवी धूमावती की पूजा नहीं करती हैं।
विवाहित महिलाओं को देवी धूमावती की पूजा नहीं करनी चाहिए। आइए जानते हैं इसके पीछे का कारण।
शास्त्रों में देवी धूमावती को देवी लक्ष्मी की बहन माना गया है। इनका एक नाम अलक्ष्मी भी है। शास्त्रों में देवी धूमावती का स्वरूप उग्र और विधवा जैसा बताया गया है। मान्यता है कि इनके दर्शन से सौभाग्य में कमी आती है। इसलिए विवाहित महिलाएं इनकी पूजा नहीं करती हैं।
विवाहित महिलाओं द्वारा देवी धूमावती की पूजा न करने का एक कारण यह है कि, पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार देवी पार्वती को बहुत भूख लगी और उन्होंने राक्षसी रूप धारण कर भगवान शिव को निगल लिया, जिसके बाद उनका रूप विधवा का हो गया।
पार्वती के इसी उग्र रूप से देवी धूमावती का जन्म हुआ था। इसीलिए विवाहित महिलाएं कभी भी देवी धूमावती की पूजा नहीं करती हैं। हालांकि शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि माता पार्वती का देवी धूमावती का रूप लेना भी भगवान शिव की ही एक लीला थी।