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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : यमुना एक्सप्रेस-वे पर हुए भीषण हादसे के बाद कई दिनों से लापता दादानगर सेवाग्राम कॉलोनी निवासी कारोबारी अनुज श्रीवास्तव की तलाश आखिरकार दर्दनाक सच्चाई तक पहुंच गई। सोमवार को डीएनए जांच के जरिए एक जले हुए शव की पहचान अनुज के रूप में हुई। जैसे ही यह खबर परिवार तक पहुंची, घर में मातम पसर गया।

हालांकि इस सच्चाई को मानना अनुज की मां लक्ष्मी श्रीवास्तव के लिए आसान नहीं है। बेटे की मौत की पुष्टि के बाद भी उनका कहना है कि वे अभी इस रिपोर्ट को स्वीकार नहीं कर सकतीं। उनका साफ कहना है कि मथुरा-वृंदावन प्रशासन पर उन्हें भरोसा नहीं है। वे चाहती हैं कि जब शव शहर लाया जाए, तब दोबारा डीएनए जांच कराई जाए, तभी वे मानेंगी कि उनका बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा।

लक्ष्मी श्रीवास्तव दादानगर सेवाग्राम कॉलोनी में अपने दो बेटों—बड़े बेटे अनुज और छोटे बेटे शुभम—के साथ रहती हैं। अनुज की पत्नी ज्योति और उनके दो बच्चे, आराध्या और रुद्र भी इसी परिवार का हिस्सा हैं। अनुज इवेंट और डेकोरेशन के कारोबार से जुड़े थे और मेहनत के बल पर परिवार की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।

बताया गया है कि 15 दिसंबर की रात करीब साढ़े नौ बजे अनुज अपने पड़ोसी सोनू वर्मा के साथ दिल्ली जाने के लिए विजय नगर चौराहे से शताब्दी बस में सवार हुए थे। लेकिन मथुरा के पास देर रात हुए सड़क हादसे के बाद से उनका कोई सुराग नहीं मिला। तभी से परिवार अनहोनी की आशंका में जी रहा था।

स्थानीय प्रशासन ने हादसे के बाद जले हुए शवों की पहचान के लिए डीएनए जांच की प्रक्रिया शुरू की। स्वजन के सैंपल लिए गए और सोमवार को एक जले शव का डीएनए अनुज से मेल खाने की पुष्टि हुई। प्रशासन के मुताबिक यही अंतिम पहचान है, लेकिन परिवार, खासकर मां का दिल अभी इस सच्चाई को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है।

एक मां का अपने बेटे को लेकर यह भरोसा कि वह अब भी जिंदा है, इस हादसे की पीड़ा को और गहरा कर देता है। फिलहाल परिवार दोबारा जांच की मांग पर अड़ा है और प्रशासन से पूरी पारदर्शिता की उम्मीद कर रहा है।