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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तर प्रदेश में अवैध नशे के कारोबार के खिलाफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है। कोडीनयुक्त कफ सिरप के जरिए युवाओं को नशे की गिरफ्त में धकेलने वाले अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के खिलाफ सरकार की कार्रवाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी से मजबूती मिली है।

हाईकोर्ट ने इस मामले में 22 आरोपियों की गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग को खारिज कर दिया है। कोर्ट के इस फैसले को सरकार के लिए बड़ी कानूनी जीत माना जा रहा है। इससे साफ हो गया है कि अब नशे के कारोबार से जुड़े लोगों को कानून से राहत नहीं मिलेगी।

चार दिन तक चली लंबी सुनवाई के दौरान आरोपियों के वकीलों ने इसे केवल लाइसेंस नियमों का उल्लंघन बताने की कोशिश की, लेकिन अपर महाधिवक्ता अनूप त्रिवेदी की दलीलों के बाद अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि कफ सिरप का अवैध भंडारण और तस्करी एनडीपीएस एक्ट के तहत गंभीर अपराध है।

कोर्ट ने कहा कि यह केवल व्यापार का मामला नहीं, बल्कि समाज और आने वाली पीढ़ियों को नुकसान पहुंचाने वाला संगठित अपराध है। इसी आधार पर शुभम जायसवाल, भोला प्रसाद और विभोर राणा समेत मुख्य आरोपियों को कोई राहत नहीं दी गई।

अब तक की जांच में 33 जिलों में फैले इस नेटवर्क का खुलासा हुआ है। एसटीएफ, एफएसडीए और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में 140 फर्जी कंपनियों की पहचान की गई है और 75 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इस नेटवर्क का तार नेपाल और बांग्लादेश तक जुड़ा पाया गया है और इसके जरिए करीब 2000 करोड़ रुपये के अवैध कारोबार का अंदेशा है।

जांच एजेंसियों ने 30 से अधिक बैंक खातों को फ्रीज कर दिया है। इसके साथ ही नशे की कमाई से बनाई गई संपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। वाराणसी, लखनऊ, कानपुर और सहारनपुर में अवैध निर्माणों को चिन्हित किया जा चुका है, जिन पर जल्द कार्रवाई हो सकती है।

योगी सरकार की इस सख्ती से साफ संदेश गया है कि उत्तर प्रदेश में नशे के कारोबार से जुड़े किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे उसका नेटवर्क कितना ही बड़ा क्यों न हो।