एक ऐसी ‘मां’ जो अपने भक्तों को देती है ‘लौंग’ का प्रसाद, नौ देवियों की रहती है छाया
गोंडा में 12 वर्षों से चल रहा प्रकृति की शक्ति का अद्भुत नमूना, हैरान हैं लोग, विज्ञान व तकनीक भी प्रकृति के तमाम रहस्यों से अभी भी अनभिज्ञ
गोंडा। विज्ञान व तकनीक के युग में भी तमाम रहस्य ऐसे हैं, जो लोगों को प्रकृति की सत्ता मानने को मजबूर कर देते हैं। एक ऐसा ही रहस्य गोंडा जनपद के एक मंदिर में 12 वर्षों से बरकरार है। इस मंदिर में एक ऐसी देवी मां हैं, जो अपने भक्तों को ‘लौंग’ का प्रसाद देती हैं।

मंडल मुख्यालय से महज 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रुपईडीह विकासखंड के ग्राम पंचायत छोटकाई पुरवा में स्थित एक छोटे से मां देवी भगवती के मंदिर में यह अद्भुत नजारा लोगों के लिए वर्षों से आस्था का केंद्र बना हुआ है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां पर कोई चढ़ावा नहीं चढ़ता है।
माता रामा देवी पर नौ देवियों की छाया
मान्यता है की गांव की निवासिनी माता रामा देवी पर नौ देवियों की छाया विद्यमान है। प्रतिदिन पूजा पाठ करने के बाद मां दुर्गा से माता रामा देवी दोनों हाथ जोड़कर प्रसाद मांगती हैं। फिर उनका पूरा अंजूरा लौंग से भर जाता है। जहां बैठती हैं उसके आसपास लौंग की बारिश होने लगती है। यह अद्भुत व अलौकिक शक्ति को देखकर लोग दंग रह जाते हैं। आए दिन कुछ भक्त परीक्षा लेने के उद्देश्य से आते हैं तो उन्हें भी अदृश्य शक्ति से रूबरू होना पड़ता है।
मन में परीक्षा सजोए भक्तों को पहचान जाती हैं मां
इस मंदिर पर जो भक्त अपने मन में परीक्षा लेने का सपना सजोए आते हैं मां उन्हें पहचान लेती हैं। भक्तों के अटपटे प्रश्नों का उत्तर भी वह बड़े ही सरल और सहज भाव से देती हैं। उनके मन में क्या चल रहा है, माता उसका रहस्योद्घाटन कर देती हैं। यह बताने पर सत्य की परीक्षा लेने आए लोग दंग रह जाते हैं। फिर सबके सामने बहुत अधिक मात्रा में लौंग की बरसात होने से सभी लोग मां भगवती के शक्ति को मानने के लिए विवश हो जाते हैं।
माताजी की छाया समाप्त होने पर बन जाती हैं फूल कुमारी
पूजा-पाठ व भक्तों को प्रसाद देने के बाद जब माता रामा देवी पर से मां की साया समाप्त हो जाती है, तो वह फिर सामान्य महिला की तरह बात करने लगती हैं। कोई दिखावा नहीं ना ही छाया के दौरान बताई गई बातें उन्हें याद रहती हंै। यदि कोई भक्त दोबारा उनसे कुछ पूछता है। तो वह कहती हैं हम तो कुछ नहीं जानती। हमने कब आपको यह बताया। हां अधिक मात्रा में लौंग पड़ा होने के कारण उन्हें यह बात मालूम पड़ जाती है कि मां भगवती आई थीं और प्रसाद दे गई हैं।
मंदिर पर नहीं चढ़ता है कोई चढ़ावा
गांव में बने माताजी के इस छोटे से मंदिर पर कोई चढ़ावा नहीं चढ़ता है। यदि कोई भक्त अपने मन से मंदिर पर प्रसाद चढ़ाने के लिए फल-फूल या मिठाईयां ले जाता है, तो उसे चढ़ाने के बाद वहां पर मौजूद भक्तों में बांट दिया जाता है। मंदिर के नियम है कि पूजा आरती के बाद प्रसाद बांटने के बाद बचना नहीं चाहिए। यदि किसी दिन भक्तों की संख्या कम रहती है और प्रसाद ज्यादा आ जाता है तो उसे उन्हीं भक्तों में बांट दिया जाता है।
मंदिर पर भक्त सिर्फ धूप और कपूर जलाते
इस मंदिर से अब तक हजारों लोगों को असाध्य व विभिन्न तरह के रोगों से छुटकारा मिल चुका है। इलाज कराकर परेशान हो चुके जिन्हें धरती के भगवान ने भी जवाब दे दिया, परिजनों के पास कोई चारा नहीं बचा, तमाम ऐसे भी लोग हैं। जो सिर्फ मां का प्रसाद खाकर पूरी तरह से स्वस्थ हो गए।