कोर्ट के आदेश के बाद एएसआई की टीम आज सुबह वाराणसी स्थित ज्ञानवापी पहुंची और सर्वे शुरू कर दिया है। सावन का तीसरा सोमवार होने की वजह से काशी में भक्तों की भारी भीड़ है। ज्ञानवापी परिसर में एएसआई के सर्वे को लेकर भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है। परिसर के बाहर सुबह से दोनों पक्षों के लोग मौजूद हैं। हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों के वकील भी सर्वे टीम के साथ परिसर में मौजूद हैं।
आज सुबह सात बजे से ज्ञानवापी परिसर का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम का सर्वे शुरू हो गया है। सर्वे टीम में 24 लोग शामिल हैं। इसके अलावा 4 महिला वादी, 4 उनके वकील यानी कि कुल 32 लोग परिसर के अंदर मौजूद हैं। वहीं फैसले के विरोध में मुस्लिम समुदाय ने बहिष्कार किया है। इस सर्वे को रुकवाने के लिए मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिस पर आज ही सुनवाई होगी। ज्ञानवापी परिसर में स्थित सील वजूखाने को छोड़ अन्य सभी जगहों का वैज्ञाानिक सर्वे किया जाना है । इस काम के लिए दिल्ली, पटना और आगरा से एएसआई की 30 सदस्यीय टीम रविवार रात को ही वाराणसी पहुंच गई थी।
सर्वे टीम के साथ फोटोग्राफर और वीडियोग्राफी टीम भी ज्ञानवापी परिसर में प्रवेश की। एएसआई सर्वे टीम पूरे परिसर के सर्वेक्षण प्रक्रिया की वीडियोग्राफी करा रही है। इससे पहले हिंदू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने यहां बताया कि एएसआई की टीम सोमवार को ज्ञानवापी परिसर में वजूखाने को छोड़ कर पूरे परिसर का सर्वेक्षण शुरू करेगी।ज्ञानवापी मामले पर हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा, हमें यकीन है कि पूरा परिसर मंदिर का ही है। सर्वे का परिणाम हमारे अनुकूल होगा। मुस्लिम पक्ष यानी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने वाराणसी जिला कोर्ट के आदेश के खिलाफ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का हवाला दिया।
मुस्लिम पक्ष के वकील मुमताज अहमद और रईस अहमद ने कहा, हमने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार ही आगे बढ़ेंगे। कल ही हमने डीएम को मना कर दिया था कि हम सर्वे में शामिल नहीं होंगे। हालांकि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर पाए गए कथित शिवलिंग के वैज्ञानिक सर्वेक्षण और कार्बन-डेटिंग की अनुमति देने वाले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निदेर्शों पर रोक लगाई थी। इस मामले को लेकर एक पक्ष कहता है कि यह शिवलिंग है और दूसरा पक्ष कहता है कि यह एक फव्वारा है।
अब इस परिसर के सर्वे से पता लगेगा कि मस्जिद कितना पुराना है और इसमें हिंदू पक्ष की तरफ से किए गए दावों में कितनी सच्चाई है। कोर्ट कमिश्वर अजय मिश्रा ने 6-7 मई को ज्ञानवापी परिसर का सर्वे किया था। इस सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार परिसर की दीवारों पर देवी-देवताओं की कलाकृति, कमल की कुछ कलाकृतियां और शेषनाग जैसी आकृति मिलने की बात कही गई थी। वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने बीते शुक्रवार को आदेश दिया था कि ज्ञानवापी परिसर स्थित सील वजूखाने को छोड़कर शेष अन्य हिस्से का एएसआई वैज्ञानिक जांच करे। साथ ही रिपोर्ट बनाकर चार अगस्त तक दे और बताए कि क्या मंदिर तोड़कर उसके ऊपर मस्जिद बनाई गई है।