अयोध्या। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी रामनगरी के श्रीगुरूनानक गाेविंद धाम गुरूद्वारा, नजरबाग में सिख धर्म के 10वें गुरू गाेविंद सिंह का प्रकाश पर्व धूमधाम से मनाया गया। पर्व पर पूरे गुरूद्वारा प्रांगण में अनुपम छटा निखर रही थी।
इस अवसर पर गुरूदेव काे समर्पित कीर्तन, दीवान आदि का कार्यक्रम हुआ,जिसमें विशेष हाजिरी बाबा फतेह सिंह रूहानी कीर्तनी जत्थे की रही। कीर्तन,पाठ समाप्ति उपरांत लंगर का आयाेजन किया गया।
इस माैके पर अयोध्या,फैजाबाद,साेहावल, नवाबगंज, मनकापुर की समस्त समूह साध-संगत उपस्थित रही। प्रकाश पर्व काे नजरबाग गुरूद्वारा के जत्थेदार बाबा महेंद्र सिंह महाराज ने सानिध्यता प्रदान करते हुए कहा कि गुरु गोविद सिंह सिख धर्म के 10वें गुरु थे। उनके बचपन का नाम गोविंद राय रहा। वह एक महान योद्धा,कवि,भक्त एवं आध्यात्मिक नेता थे। 1699 बैसाखी के दिन गुरु गोविद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना किया। यह दिन सिखों के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। गुरू ने अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा और सच्चाई की राह पर चलते हुए ही गुजार दी। उनका उदाहरण और शिक्षाएं आज भी लोगों को प्रेरित करती है।
उन्हें 10 वर्ष की आयु से ही दसवें सिख गुरु के रूप में जाना जाने लगा था। पिता के निधन के बाद वह कश्मीरी हिंदुओं की रक्षा के लिए गद्दी पर बैठे। यहीं नहीं उन्होंने बचपन में संस्कृत, उर्दू, हिंदी, ब्रज, गुरुमुखी और फारसी जैसी भाषाएं भी सीखीं। गुरु गोविंद सिंह ने 'खालसा पंथ' में जीवन के पांच सिद्धांत दिए हैं, जिन्हें 'पंच ककार' के नाम से जाना जाता है। इसका मतलब 'क' शब्द से शुरु होने वाले पांच सिद्धांत हैं,जिनका अनुसरण करना हर खालसा सिख के लिए अनिवार्य है।
उन्हाेंने अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा और सच्चाई की राह पर चलते हुए ही गुजार दी। सेवादार नवनीत सिंह निशु ने बताया कि गुरूद्वारा में लाेहड़ी पर्व भी हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया,जिसका आयोजन देररात्रि तक चलता रहा।