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बड़ा मंगल : आस्था के साथ पर्यावरण स्वच्छत्ता की सीख देती संस्था लोकभारती

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लखनऊ। लखनऊ में ज्येष्ठ मास में पड़ने वाले सभी मंगलवार को हनुमत पूजा एवं बड़े पैमाने पर भंडारों का आयोजन होता है। प्रचंड गर्मी में पड़ने वाले इन उत्सवों में सभी धर्मों और मतों के लोग शामिल होते हैं। भंडारों के दौरान सड़कों पर आवागमन बाधित न हो, गन्दगी न फैलने पाए और पर्यावरण स्वच्छ रहे, इसके लिए समाज और पर्यावरण को समर्पित संस्था लोकभारती पिछले कई वर्षों से प्रयत्नशील है। लोकभारती भंडारों के आयोजकों, भक्तों और नगरनिगम से तालमेल कर यह सुनिश्चित करने का प्रयास करती है कि आस्था और उत्सव के साथ स्वच्छत्ता और पर्यावरण के प्रति भी लोग सचेत रहें।

इस वर्ष जेष्ठ मॉस का पहला बड़ा मंगल 28 मई को पद रहा है। अन्य मंगल क्रमश 4, 11 एवं 18 जून को सम्पन्न होंगे। मंगल के भंडारों को स्वच्छत्ता से सकुशल संपन्न करवाने के लिए रविवार को लोकभारती की बैठक स्वामी कौशिक चैतन्य जी के चिन्मय अश्रम, महानगर में सम्पन्न हुई। बैठक में संस्था के संगठन मंत्री बृजेंद्र पाल सिंह, सह संगठन मंत्री गोपाल उपाध्याय के परामर्श से ज्येष्ठ मास के बड़े मंगल के भंडारों को स्वच्छ एवं पर्यावरण के अनुरूप संपन्न कराने की योजना को मूर्तरूप प्रदान किया गया।

लोकभारती द्वारा इस अभियान को प्रभावी तथा प्रेरणादायक बनाने हेतु भंडारा आयोजकों से संपर्क कर उन्हें सहयोगी बनाया जा रहा है। इसके साथ ही अभियान के सुचारु संचलन हेतु स्वामी कौशिक चैतन्य जी के संयोजन में महन्त रामसेवक दास हनुमत धाम, विवेक तांगड़ी महन्त लेटे हनुमान जी तथा महन्त देव्यया गिरी मनकामेश्वर नाथ मन्दिर के मार्गदर्शन में एक संयोजन मण्डल का भी गठन किया गया है, जो भंडारा आयोजकों के साथ ही नगर निगम सहित महानगर की विभिन्न सामाजिक संस्थाओं एवं सामजिक कार्यकर्ताओं को भी इस अभियान का सहभागी बनाने का कार्य करेगा।

उल्लेखनीय है कि लोकभारती द्वारा स्वच्छ एवं पर्यावरण के अनुरूप ज्येष्ठ माह के भंडारों को संपन्न कराने का अभियान पिछले तीन वर्षों से निरन्तर जारी है। इस अभियान के  परिणाम स्वरूप गत वर्ष 2023 में नगर निगम लखनऊ द्वारा पहली बार भंडारों का विधिवत पंजीकरण प्रारम्भ हुआ और लगभग एक सौ भंडारे पर्यावरण के अनुरूप मानकों के अनुसार सम्पन्न हुए। इन्हे लोकभारती द्वारा सम्मानित भी किया गया।

लोकभारती ने मंगल भंडारों के लिए कुछ मानक सुनिश्चित किए हैं, जो इन भंडारों की गरिमा को और भी बढ़ाने बाले हैं -
1. भंडारा के लिए एक टोली का निर्माण और भंडारे से पूर्व व्यस्था हेतु उसकी बैठक तथा करणीय सभी कार्यों एवं उनके संयोजकों का निर्धारण।
2. भंडारा स्थल का निर्धारण और ऐसी व्यवस्था बनाना जिससे यातायात को कोई बाधा न पहुँचे।
3. स्थल की स्वच्छता और पवित्रता की समुचित व्यवस्था के साथ भारतीय व्यंजनो के ही प्रसाद वितरण का आग्रह।
4. चूने द्वारा आवश्यक रेखांकन,  पर्याप्त एवं बड़े कूडे दान, उनके सफाई औऱ देख-रेख की समुचित व्यवस्था।
5. पानी पिलाने के लिए सागर का प्रयोग। प्लास्टिक और उड़ने बाले गिलासों का प्रयोग नहीं करना।
6. प्रसाद के लिए पत्तों के दोने और पत्तल का उपयोग। प्लास्टिक, पन्नी, थर्मोकोल का प्रयोग पूर्णतः वर्जित।
7. यदि कोई गलती से कूडे दान के अतिरिक्त कहीं पर पत्तल, दोना या पानी का पात्र डाल दे तो तुरंत उसे कूड़ेदान में डालें। 

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