काल भैरव की पूजा करते समय भूलकर भी न करें ये गलतियां, नहीं तो…
अगर आप भी काल भैरव की पूजा करते हैं तो सावधान हो जाएं. क्योंकि काल भैरव की पूजा करते समय आपको बहुत ही ध्यान देने की जरूरत है.
अगर आप भी काल भैरव की पूजा करते हैं तो सावधान हो जाएं. क्योंकि काल भैरव की पूजा करते समय आपको बहुत ही ध्यान देने की जरूरत है. आपकी एक गलती काल भैरव को रुष्ट कर सकती है. आज हम आपको बताएंगे कि काल भैरव की पूजा करते समय ये 4 गलियां तो भूलकर भी इंसान को नहीं करनी चाहिए. आइये जानतें हैं उन 4 गलतियों के बारे में जिन्हें आप काल भैरव की पूजा करते समय बिल्कुल नहीं करना है.
कौन हैं काल भैरव
बता दें कि काल भैरव शिव जी के ही रौद्र रूप हैं. इनकी उपासना से भय और अवसाद का नाश होता है. व्यक्ति को अदम्य साहस मिल जाता है. शनि और राहु की बाधाओं से मुक्ति के लिए भैरव की पूजा अचूक होती है.
भैरव के स्वरूप और उपासना
भैरव के तमाम स्वरूप बताए गए हैं. असितांग भैरव, रूद्र भैरव, बटुक भैरव और काल भैरव आदि. मुख्यतः बटुक भैरव और काल भैरव स्वरूप की पूजा और ध्यान सर्वोत्तम मानी जाती है. बटुक भैरव भगवान का बाल रूप है. इन्हें आनंद भैरव भी कहते हैं. इस सौम्य स्वरूप की आराधना शीघ्र फलदायी होती है.
काल भैरव इनका साहसिक युवा रूप है. इनकी आराधना से शत्रु से मुक्ति, संकट, कोर्ट-कचहरी के मुकदमों में विजय की प्राप्ति होती है. असितांग भैरव और रूद्र भैरव की उपासना अति विशेष है, जो मुक्ति मोक्ष और कुंडलिनी जागरण के दौरान प्रयोग की जाती है.
कैसे करें भैरव की पूजा
भैरव जी की पूजा करते समय इनके सामने एक बड़े से दीपक में सरसों के तेल का दीपक जलाएं. इसके बाद उरद की बनी हुई या दूध की बनी हुई वस्तुएं उन्हें प्रसाद के रूप में अर्पित करें. विशेष कृपा के लिए इन्हें शरबत या सिरका भी अर्पित करें. तामसिक पूजा करने पर भैरव देव को मदिरा भी अर्पित की जाती है. प्रसाद अर्पित करने के बाद भैरव जी के मन्त्रों का जाप करें.
भैरव की पूजा की सावधानियां
गृहस्थ लोगों को भगवान भैरव की तामसिक पूजा नहीं करनी चाहिए. सामान्यतः बटुक भैरव की ही पूजा करें. यह सौम्य पूजा है. काल भैरव की पूजा कभी भी किसी के नाश के लिए न करें. साथ ही काल भैरव की पूजा बिना किसी योग्य गुरु के संरक्षण के न करें.
भगवान भैरव के विशेष मंत्र
-“ॐ भैरवाय नमः”
-“ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं ॐ”
– “ॐ भं भैरवाय अनिष्टनिवारणाय स्वाहा”