
नैनीताल। उत्तराखंड का नैनीताल जिला झीलों के लिए दुनिया भर में फेमस है। नैनीझील के साथ ही यहां अन्य बहुत सी झीलें भी हैं, जो पर्यटकों को लुभाती है। इन्हीं में एक है खुर्पाताल की झील। इस झील की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये समय-समय पर रंग बदलती रही है। झील के रंग बदलने को लेकर इलाके में कई किस्से-कहानियां हैं तो वहीं इसका वैज्ञानिक आधार भी बताया जाता है। खुर्पाताल की झील को ‘रहस्यमयी झील’ भी कहते हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस झील का रंग भविष्य की तरफ इशारा करता है, जैसे- जब झील का रंग हल्का लाल होता है तो ये विपदा आने का संकेत है। वहीं मार्च महीने में इसका रंग हल्का धानी हो जाता है, जो खुशहाली का प्रतीक माना जाता है। मार्च से अप्रैल में यहां पाइन्स के फूल गिरते हैं जिसकी वजह से भी झील के रंग में हल्का बदलाव नजर आने लगता है। वहीं पेड़ों की परछाई पड़ने से झील का रंग हरा हो दिखने लगता है। यहां की रहने वाली हंसा बिष्ट बताती हैं कि खुर्पाताल जगह पर लोगों के बसने का इतिहास करीब 200 साल पुराना है।
ये झील इस इलाके की सुंदरता में चार चांद लगा देती है। कुमाऊं विश्वविद्यालय में वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ ललित तिवारी बताते हैं कि किसी भी वॉटर बॉडी सबसे अहम पार्ट होते हैं, उनमें मौजूद शैवाल जिन्हें ‘एलगी’ भी कहा जाता है। यह काफी तरह के होते हैं। इनके कलर और पिगमेंट सिस्टम के आधार पर इन्हें अलग-अलग कैटेगरी में रखा गया है। तिवारी का कहना है कि ये एलगी ही कहीं न कहीं झीलके पानी के रंग बदलने की वजह भी बनते हैं।