‘जय जवान-जय किसान’ अभियान : यूपी में कारगर हो सकती है कांग्रेस की रणनीति!
सत्तारूढ़ भाजपा के साथ सपा, बसपा और रालोद भी चौकन्ना
लखनऊ। तीन दशकों से भी अधिक समय से यूपी की सियासत में हासिये पर खड़ी कांग्रेस फिर अंगड़ाई लेती हुई नजर आ रही है। अरसे से विखरे पड़े कांग्रेस समर्थक पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी के नेतृत्व में ‘जय जवान-जय किसान’ अभियान चला रहे हैं। इस मुहिम का असर सहारनपुर और बिजनौर में आयोजित किसान पंचायतों में स्पष्ट दिखा। पंचायत में उमड़े किसानों, मजदूरों व आम ग्रामीणों के हुजूम ने भाजपा के साथ सपा और बसपा को भी बेचैन कर दिया है।
इस समय पुरे देश में किसान आंदोलन की गूंज है। नए कृषि कानूनों के खिलाफ लगभग तीन माह से हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। केंद्र सरकार भी अड़ी हुई है। कांग्रेस किसान आंदोलन को मुखर समर्थन देने के साथ ही पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी के नेतृत्व में ‘जय जवान-जय किसान’ अभियान चला रही है। इस अभियान के तहत अब तक सहारनपुर और बिजनौर में किसान पंचायत भी हो चुकी है। दोनों किसान पंचायतों में किसानों, मजदूरों व आम ग्रामीणों का हुजूम उमड़ा।
सहारनपुर और बिजनौर में किसान पंचायत को संबोधित करते हुए प्रियंका गांधी ने केंद्र व प्रदेश सरकार पर असरदार हमला किया। उन्होंने कृषि कानूनों को परिभाषित भी किया। प्रियंका ने किसानों के संघर्ष में हमेशा खड़े रहने का संकल्प लिया। इन किसान पंचायतों में लोगों के बीच प्रियंका गांधी की अपील कारगर होती नजर आ रही थी। वरिष्ठ लोगों को प्रियंका में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के तेवर नजर आ रहे थे। इसके अलावा भाजपा सरकार के खिलाफ किसानों की नाराजगी भी कांग्रेस का मार्ग सुगम कर रही है।
कांग्रेस के रणनीतिकार ‘जय जवान-जय किसान’ अभियान के तहत उन जिलों को प्राथमिकता दे रहे हैं, जहां पर किसान राजनीति का ठोस आधार रहा है। इन जिलों में किसान आंदोलन का भी खासा असर रहा है। इसीलिए ‘जय जवान-जय किसान’ अभियान की शुरुवात सहारनपुर से की गई। उसके बाद बिजनौर में किसान पंचायत हुई। इसके बाद अब शामली, मुज़फ्फरनगर, बागपत, मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़, हाथरस, मथुरा, आगरा, फिरोजाबाद, बदायूं, बरेली, रामपुर, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, सीतापुर और हरदोई समेत 27 जिलों में किसान पंचायत आयोजित की जाएंगी।
प्रियंका गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस के ‘जय जवान-जय किसान’ अभियान को अगले साल यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। इस अभियान के तहत कांग्रेस किसान जातियों जाटों और गुर्जरों के ही साथ मुस्लिमों में मजबूत पकड़ बनाने की रणनीति पर काम कर रही है। इसीलिए सत्तारूढ़ भाजपा के साथ सपा, बसपा और रालोद भी चौकन्ना हो गई हैं।