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Reaction to the budget: बजट भविष्योन्मुखी जैसा कुछ नहीं, कर दाताओं के लिए ठीक, शेयर मार्केट-निवेशकों के लिए बुरा

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नैनीताल। बजट पर राजनीतिक दलों से जुड़े लोग अपने-अपने राजनीतिक चश्मे से देखकर समीक्षा करते हैं, जबकि आम लोग बजट को जल्दी समझ नहीं पाते हैं। ऐसे में ‘हिन्दुस्थान समाचार’ ने विशेषज्ञों से इस बारे में जानने का प्रयास किया।

इस संबंध में नगर के प्रतिष्ठित चार्टर्ड अकाउंटेंट एवं उत्तराखंड उच्च न्यायालय में कर मामलों के अधिवक्ता पवन कुमार नाथ का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बजट को जैसा भविष्योन्मुखी बताया था, वैसा नहीं लग रहा है। बजट में ऐसा कुछ भी खास नया नजर नहीं आ रहा है।

करों की दरों में हुए बदलाव पर उन्होंने कहा कि करों के लिए स्लैब यानी आय की सीमा में और कर छूटों को बढ़ाकर 50 से 75 करने जैसा बदलाव किया गया है। इससे करदाताओं को 17,500 रुपये की छूट मिल सकती है। इस लिहाज से बजट कर दाताओं के लिए अच्छा कहा जा सकता है। इसके अलावा कर संबंधी विवादों को निपटाने के लिए ‘विवाद से विश्वास योजना 2.0’ लाने की बात कही गयी है। इसमें क्या प्रावधान होंगे, यह आगे देखने वाली बात होगी।

स्टॉक मार्केट से जुड़े जीवेंद्र शर्मा ने बजट को हर लिहाज से निवेशकों के लिए निराश करने वाला बताया है। इसका प्रभाव आज बजट घोषित होते ही स्टॉक मार्केट में भारी गिरावट के साथ देखने को भी मिला। शर्मा ने बताया कि बजट में एलटीसीजी यानी दीर्घकालीन पूंजीगत लाभ यानी शेयर मार्केट से प्राप्त होने वाले लाभ पर करों की दर को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत एवं छोटी अवधि के पूंजीगत लाभ को 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है।

हालांकि कर युक्त लाभ की सीमा को 1 लाख से बढ़ाकर 1.25 लाख कर दिया गया है। इसके अलावा वायदा कारोबार को भी कर बढ़ाकर हतोत्साहित किया गया है। इसके जरिये सरकार ने संदेश दिया है कि सरकार वायदा कारोबार के जरिये होने वाले एक तरह के जुए या सट्टे को हतोत्साहित करना चाहती है। इसे अच्छा कदम कह सकते हैं लेकिन कुल मिलाकर बजट का शेयर बाजार पर और निवेशकों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
 

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