उत्तराखंड में ग्लेशियर तबाही से भी बड़ी उथल-पुथल के संकेत, बन रहे ऐसे अशुभ संयोग
प्राच्य विद्या सोसायटी के संस्थापक ज्योतिषाचार्य पं. प्रतीक मिश्रपुरी ने कहा है कि वेद का वाक्य है यत यत पिंडे तत्र तत्र ब्रह्मांड।
हरिद्वार। प्राच्य विद्या सोसायटी के संस्थापक ज्योतिषाचार्य पं. प्रतीक मिश्रपुरी ने कहा है कि वेद का वाक्य है यत यत पिंडे तत्र तत्र ब्रह्मांड। अर्थात जैसा इस शरीर रूपी पिंड में है वही ब्रह्मांड में दिखाई देता है। पूरे देश में किसान आंदोलन दिखाई दे रहा है। पूरे विश्व में उथल -पुथल मची है, क्योंकि मकर राशि में पंच ग्रही योग चल रहा है।

1962 में कुंभ से पहले जनवरी में मकर राशि में अष्ट ग्रही योग बना था
उन्होंने बताया कि 1962 में कुंभ से पहले जनवरी में मकर राशि में अष्ट ग्रही योग बना था। इस बार भी कुंभ से ठीक पहले छह ग्रह मकर राशि में आने वाले है। 10 फरवरी को सूर्य, गुरु, शनि, शुक्र, बुध, चंद्र छ हग्रह मकर राशि में होंगे। अभी पंच ग्रही योग है। इस समय समस्त ग्रह राहु और केतु के मध्य चल रहे हैं। इसे सर्प योग कहा जाता है। ये योग पूरे पूरे कुंभ तक बना रहेगा। उन्होंने बताया कि सभी मुख्य स्नान इसी सर्प दोष के मध्य होंगे, जो अच्छा संकेत नहीं है। भीड़ रहेगी।
कुंभ का मुख्य स्नान पूरे मेला प्रशासन को परेशान करने वाला होगा
भीड़ को प्रशासन के लिए कंट्रोल करना कठिन होगा। विशेष रूप से 12 अप्रैल का अमावस्या स्नान व 14 अप्रैल का मेष संक्रान्ति का कुंभ का मुख्य स्नान पूरे मेला प्रशासन को परेशान करने वाला होगा, क्योंकि शनि और मंगल का एक -दूसरे से आठवें से छठे भाव में होना जनहानि करता है। उन्होंने कहा कि मेला प्रशासन को शुभ मुहूर्त में ही पूजन करके मेला शुरू करना चाहिए, जिससे बिना किसी विघ्न के मेला संपन्न हो।