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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : एशिया की दो महाशक्तियों के बीच तनाव चरम पर पहुँच गया है। जापान ने रविवार (7 दिसंबर, 2025) को चीन पर बेहद गंभीर आरोप लगाए। जापानी रक्षा मंत्रालय के अनुसार, चीनी नौसेना के एक जे-15 लड़ाकू विमान ने एक जापानी एफ-15 लड़ाकू विमान के 'फायर-कंट्रोल रडार' को लॉक कर दिया। सैन्य भाषा में, रडार को लॉक करना किसी हमले से पहले का आखिरी कदम और बेहद आक्रामक कदम माना जाता है। हालाँकि चीन ने इन आरोपों का खंडन किया है, लेकिन इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात बनने की अटकलें तेज हो गई हैं। जापान ने साफ कर दिया है कि वह चीन के इस कदम का करारा जवाब देगा।

क्या हुआ?

जापानी रक्षा मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, यह घटना ओकिनावा द्वीप के पास हुई। चीनी सेना के एक जे-15 लड़ाकू विमान ने जापानी वायु सेना के एक एफ-15 विमान को निशाना बनाया और उसका रडार लॉक कर दिया। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, जब कोई पायलट दुश्मन के विमान का रडार लॉक करता है, तो इसका मतलब होता है कि वह मिसाइल दागने की तैयारी कर रहा है। यह कृत्य विमान की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है और इसे युद्ध भड़काने के रूप में देखा जा रहा है।

जापान का कठोर मिजाज और विरोध

इस घटना के बाद जापान सरकार एक्शन मोड में आ गई है। जापानी रक्षा मंत्री शिंजिरो कोइज़ुमी ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। टोक्यो में ऑस्ट्रेलियाई रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्लेस के साथ बैठक के दौरान कोइज़ुमी ने कहा, "चीन का यह व्यवहार क्षेत्र में शांति के लिए खतरा है। जापान अपनी सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने के लिए चीन को करारा और कड़ा जवाब देगा।" जापान ने इस मामले पर शनिवार को ही चीन के समक्ष कड़ा राजनयिक विरोध दर्ज कराया था।

चीन का लुलु बचाव: "जापान ही अपराधी है"

दूसरी ओर, चीन ने हमेशा की तरह आक्रामक रुख अपनाते हुए चोर के लिए जेल जैसा जाल बिछा दिया है। चीनी नौसेना (पीएलए) के प्रवक्ता कर्नल वांग झुमेंग ने जापान के आरोपों को निराधार बताया है। उनका दावा है कि चीनी नौसेना मियाको जलडमरूमध्य के पूर्व में एक घोषित उड़ान प्रशिक्षण कर रही थी, तभी जापानी विमान उनके पास आ गए और बाधा उत्पन्न करने लगे। चीनी मीडिया और विशेषज्ञ दावा कर रहे हैं कि जापान पीड़ित होने का नाटक कर रहा है, जबकि वास्तव में उसी ने चीनी अभ्यास में बाधा डाली थी।

ताइवान पर बढ़ते तनाव

यह घटना ऐसे समय में हुई है जब ताइवान को लेकर चीन और जापान के बीच संबंध पहले से ही तनावपूर्ण हैं। जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने पिछले महीने चेतावनी दी थी कि अगर चीन ताइवान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करता है और जापान की सुरक्षा को खतरा पहुँचाता है, तो जापान चुप नहीं बैठेगा। ताइवान जापान के पश्चिमी द्वीप योनागुनी से सिर्फ़ 110 किलोमीटर (70 मील) दूर है, इसलिए चीन की कोई भी हरकत जापान के लिए चिंता का विषय है। इसके अलावा, फुकुशिमा संयंत्र से पानी छोड़ने को लेकर बीजिंग ने जापान पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए हैं, जिससे स्थिति और जटिल हो गई है।