उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह (Former CM Kalyan Singh) का आज शाम लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए कल्याण सिंह ने शिक्षा के क्षेत्र में काफी काम किया था. यह 1992 का दौर था जब राज्य की बागडोर मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के हाथों में थी और प्रदेश के शिक्षा मंत्री राजनाथ सिंह हुआ करते थे. मुख्यमंत्री कल्याण सिंह शिक्षा व्यवस्था को सुधारना चाहते थे लेकिन राज्य में नकल गिरोह का बोलबाला था. ऐसे में उन्होंने ये जिम्मेदारी तत्कालीन शिक्षा मंत्री और फिजिक्स के लेक्चरर राजनाथ सिंह को सौंपी, जिसके बाद राज्य में ‘नकल अध्यादेश’ लागू हुआ.
क्या है ‘नकल अध्यादेश’
1992 में कल्याण सिंह के नेतृत्व की सरकार के दौर में बोर्ड परीक्षा में सर्वाधिक कड़ाई की गई थी. तब नकल करना और कराना संज्ञेय अपराध था और यह परीक्षा कक्ष में बोर्ड पर अंकित रहता था. जिससे नकल करने और कराने वाला इसका अर्थ समझ सके. उत्तर प्रदेश में बोर्ड परीक्षा में नकल करते हुए पकड़े जाने वालों को जेल भेजने का कानून बनाया गया. जिसके बाद किताब रख के चीटिंग करने वालों के लिए ये काल बन गया. इसी कानून यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को बोल्ड एडमिनिस्ट्रेटर बना दिया.