धर्म डेस्क। पर्वों के देश भारत में गणेश चतुर्थी का विशेष महत्व है। इसी दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश जी ( गणपति बप्पा ) का जन्म हुआ था। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश का अवतरण हुआ है। इसलिए हर वर्ष भाद्रपद माह में गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। इस पर्व पर गणपति बप्पा की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साधक अपने घरों पर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित कर गणपति बप्पा की पूजा करते हैं। गणेश जी की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
गणेश चतुर्थी कल है। इसी तिथि से लोग गणेश जी को घर में अगले दस दिनों के लिए प्रतिष्ठापित करते हैं। घर में बप्पा को बैठाने के बाद कई चीजों का ध्यान रखना पड़ता है। गणेश जी की पूजा में कुछ फूल और पत्तों को वर्जित माना गया है। इसी तरह गणेश चतुर्थी पर गणेश जी की पूजा के साथ पंचदेवों की पूजा आवश्यक रूप से करनी चाहिए।
बताते चलें कि गणेश जी के साथ गणपति, गौरी, भगवान शिव, विष्णु और सूर्यदेव की पूजा की जाती है। इन देवी-देवताओं को ही पंचदेव कहा जाता है। आजकल तो लोग गणेश जी के साथ इन पंचदेवों को भी बिठाते हैं और पूरे समय तक उनकी पूजा करते हैं। इन पंचदेवों की पूजा करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं और सारी मनोकामनाएं भी पूरी होती है।
कुछ चीजें देवताओं को बेहद प्रिय तो कुछ अप्रिय होती हैं। जैसे गणेश जी को तुलसी को छोड़कर सभी पत्ते और फूल प्रिय हैं, इसलिए उन्हें बेलपत्र और फूल चढ़ाए जाते हैं। गणेश जी को दूर्वा अधिक प्रिय है, इसलिए उन्हें दूर्वा अवश्य चढ़ानी चाहिए। दूर्वा की कली में तीन या पांच पत्तियां हों तो बेहतर है। गणपति बप्पा को तुलसी के पत्ते भूलकर भी नहीं चढ़ाना चाहिए।