Prabhat Vaibhav,Digital Desk : इस साल की भारी बारिश ने ऋषिकेश–बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। हाईवे पर 32 नए भूस्खलन जोन बन गए हैं, जबकि पहले से 45 संवेदनशील स्थान चिन्हित हैं। इनमें से 22 जोन का पहले चरण में स्थायी उपचार किया जा रहा है। कई जगहों पर पहाड़ियों के लगातार दरकने से सड़क बेहद संवेदनशील हो चुकी है। टीएचडीसी के विशेषज्ञों ने इन नए जोन का स्थल निरीक्षण कर लिया है। अब इनके स्थायी सुधार के लिए डीपीआर तैयार की जा रही है, जिसे एनएच डिविजन के माध्यम से केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।
आलवेदर रोड प्रोजेक्ट के तहत 2016 में हाईवे चौड़ीकरण का काम शुरू हुआ था। लेकिन कटान के कारण पहाड़ कमजोर हुए और कई जगह भूस्खलन जोन बन गए। टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन और एनएचआईडीसीएल ने मिलकर ऋषिकेश से रुद्रप्रयाग तक कुल 46 जोन चिन्हित किए थे। इनमें ब्रह्मपुरी से कौडियाला तक 12, कौडियाला तक आठ, देवप्रयाग से श्रीनगर तक पांच और श्रीनगर से रुद्रप्रयाग तक छह संवेदनशील स्थान शामिल हैं।
केंद्र सरकार ने पहले चरण में ऋषिकेश से देवप्रयाग तक 22 भूस्खलन जोन के स्थायी ट्रीटमेंट को मंजूरी दी थी, जिनमें से 70% से अधिक काम पूरा हो चुका है। दूसरे चरण में देवप्रयाग से रुद्रप्रयाग तक 24 जोन के ट्रीटमेंट की डीपीआर भी स्वीकृत हो चुकी है।
लेकिन इस साल की बारिश में 32 नए जोन बनने से हाईवे की स्थिति फिर बिगड़ गई है। कई नए जोन पहले से चिन्हित क्षेत्रों के ठीक पास बन गए हैं, जिससे जोखिम और बढ़ गया है। सम्राट होटल से नरकोटा तक एक किलोमीटर का हिस्सा सबसे ज्यादा खतरे वाला क्षेत्र बन गया है। यहां पिछले साल भूस्खलन से दो दिनों तक यातायात पूरी तरह ठप रहा था, और इस साल भी बारिश में यह मार्ग बार-बार बाधित हुआ।
तोताघाटी में राहत
आलवेदर परियोजना के तहत बदरीनाथ हाईवे के सबसे कठिन तोताघाटी क्षेत्र में पिछले चार-पांच वर्षों से बड़े पैमाने पर सुधार कार्य चला। यहां तीखे मोड़ हटाए गए और पहाड़ी की तरफ सुरक्षा दीवार बनाई गई, जिससे सड़क अब काफी सुरक्षित हो रही है।
कहां-कहां बने नए भूस्खलन जोन?
स्वीत पुल, सम्राट होटल के पास, फरासू, ब्रह्मपुरी, तिमलापानी, शिवपुरी सहित कई स्थानों पर नए भूस्खलन जोन बने हैं। इसके अलावा कौडियाला, महादेव चट्टी, सकनीधार, भीत गांव, देवप्रयाग संगम, एचपी बैंड, मुल्यागांव, कीर्तिनगर के पास और उफ्ल्टा क्षेत्र भी प्रभावित हैं।
अधिशासी अभियंता राजवीर सिंह चौहान के अनुसार, टीएचडीसी के सहयोग से नए जोनों का सर्वे पूरा हो चुका है और स्थायी उपचार के लिए डीपीआर तैयार की जा रही है। उम्मीद है कि आगामी यात्राकाल तक हाईवे की स्थिति पहले की तुलना में काफी बेहतर हो जाएगी।




