74 वर्षीय गीतकार अभिलाष का मुम्बई में निधन, दस महीने से थे इस जानलेवा बीमारी से पीड़ित
इसके अलावा अभिलाष ने 'सांझ भई घर आजा', 'आज की रात न जा', 'वो जो खत मुहब्बत में', 'तुम्हारी याद के सागर में', 'संसार है इक नदिया', 'तेरे बिन सूना मेरे मन का मंदिर' आदि गीत भी लिखे थे, जो काफी लोकप्रिय हुए थे।
बॉलीवुड।। हिन्दी सिनेमा के जाने-माने दिग्गज गीतकार अभिलाष का 74 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वह कैंसर से पीड़ित थे और लगभग दस महीने से बिस्तर पर थे। उन्होंने मुंबई में ही अंतिम सांस ली। उनके निधन से बॉलीवुड में शोक की लहर है। अभिलाष ने बॉलीवुड की कई फिल्मों में गीत लिखे थे, जो काफी मशहूर हुए। गीतकार अभिलाष को पहचान गीत ‘इतनी शक्ति हमें देना दाता’ से मिली थी।
साल 1986 में आई फिल्म ‘अंकुश’ में उनके द्वारा लिखा गया गीत ‘इतनी शक्ति हमें देना दाता’ इतना मशहूर हुआ कि कई विद्यालयों में इसे प्रार्थना के रूप में शामिल किया गया और यह गीत आज भी लोगों के बीच काफी पसंद किया जाता है। कई भाषाओं में गीत ‘इतनी शक्ति हमें देना दाता’ का अनुवाद हो चुका है।
इसके अलावा अभिलाष ने ‘सांझ भई घर आजा’, ‘आज की रात न जा’, ‘वो जो खत मुहब्बत में’, ‘तुम्हारी याद के सागर में’, ‘संसार है इक नदिया’, ‘तेरे बिन सूना मेरे मन का मंदिर’ आदि गीत भी लिखे थे, जो काफी लोकप्रिय हुए थे। गीतों के अलावा उन्होंने कई फिल्मों में बतौर पटकथा-संवाद लेखक भी योगदान दिया था।
गीतकार अभिलाष का जन्म 13 मार्च 1946 को दिल्ली में हुआ। दिल्ली में उनके पिता का व्यवसाय था। वो चाहते थे कि अभिलाष व्यवसाय में उनका हाथ बटाएं, लेकिन बारह साल की उम्र में अभिलाष ने कविताएं लिखनी शुरू कर दी थी। अभिलाष का असली नाम ओमप्रकाश था। अभिलाष अपने रचित गीतों के जरिए प्रशंसकों के दिलों में सदैव जीवित रहेंगे। अभिलाष का निधन से फिल्म जगत को अपूरणीय क्षति हुई है।