
Prabhat Vaibhav, Digital Desk : लखनऊ के लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में शुक्रवार को पांचवां रिसर्च डे आयोजित हुआ। इस मौके पर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर राठौर ने दिल की सेहत को लेकर महत्वपूर्ण बातें साझा कीं। उन्होंने बताया कि अब इलाज में आधुनिक तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल बढ़ रहा है, जिससे मरीजों को बड़ा लाभ मिल रहा है।
डॉ. सुधीर ने कहा कि अब एआई आधारित मोबाइल एप्स से दिल की बीमारी की सटीक निगरानी की जा सकती है। ऐसे एप न केवल दिल के दौरे जैसी गंभीर स्थितियों का खतरा कम करते हैं बल्कि हार्ट रिहैबिलिटेशन में भी मददगार साबित हो रहे हैं। इस मौके पर संस्थान के निदेशक प्रो. सीएम सिंह और द इंक्लेन ट्रस्ट इंटरनेशनल के कार्यकारी निदेशक प्रो. (डॉ.) एनके अरोड़ा ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
उन्होंने बताया कि एआई एप की मदद से मरीजों की जांच और इलाज ज्यादा प्रभावी हो गया है। खास बात यह है कि यह तकनीक स्वस्थ दिखने वाले व्यक्ति में भी समय रहते संभावित खतरे का पता लगा सकती है। इससे कार्डियोलॉजिस्ट की कमी को भी काफी हद तक पूरा किया जा सकता है।
एंजियोप्लास्टी और बाईपास के बाद भी सावधानी जरूरी
कार्यक्रम में मौजूद विशेषज्ञों ने बताया कि एंजियोप्लास्टी या बाईपास सर्जरी के बाद मरीजों को बेहद सतर्क रहना चाहिए। थोड़ी सी लापरवाही भी उन्हें दोबारा खतरे में डाल सकती है। ऐसे में नियमित जांच, डॉक्टर की सलाह के अनुसार पैदल चलना और समय पर दवाइयां लेना बेहद जरूरी है।
विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि कोरोना महामारी के बाद से दिल की बीमारियों में तेजी से इजाफा हुआ है। खराब जीवनशैली, फास्ट फूड की आदत, तला-भुना भोजन और बढ़ता तनाव इसका बड़ा कारण है। खासतौर पर युवाओं में इसका असर ज्यादा देखा जा रहा है। आंकड़ों के मुताबिक, करीब 30 प्रतिशत मरीजों में बीमारी के दोबारा लौटने का खतरा बना रहता है।