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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : अमेरिका ने रूस पर आर्थिक दबाव बढ़ाने के लिए एक आक्रामक रणनीति का संकेत दिया है। अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने घोषणा की है कि रूसी कच्चा तेल खरीदने वाले देशों पर नए टैरिफ और प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। यह कदम भारत जैसे देशों के लिए विशेष रूप से चिंताजनक है, जो युद्ध के दौरान भी रूस से तेल का एक प्रमुख आयातक रहा है। इस पहल का उद्देश्य रूसी अर्थव्यवस्था को अस्थिर करना है और इसमें यूरोपीय संघ का सहयोग आवश्यक माना जा रहा है।

रूस-यूक्रेन युद्ध के दो साल बाद भी, अमेरिका रूस पर आर्थिक प्रतिबंध बढ़ाने पर अड़ा हुआ है। अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने हाल ही में यूरोपीय संघ से इस मामले में अमेरिका का साथ देने का आह्वान किया है। उनके बयान से संकेत मिलता है कि अमेरिका रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर नए और कड़े टैरिफ लगा सकता है।

भारत-रूस संबंधों पर प्रभाव

डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने पहले भी रूस से तेल आयात करने पर भारत पर 25% का अतिरिक्त शुल्क लगाया है। अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कम कीमतों पर तेल उपलब्ध होने के कारण, भारत रूस से तेल खरीदता रहा है। अमेरिका का आरोप है कि इन ख़रीदों से रूस को यूक्रेन में अपने युद्ध के लिए वित्तीय सहायता मिल रही है। अगर अमेरिका नए शुल्क लगाता है, तो भारत के कच्चे तेल के आयात की लागत काफ़ी बढ़ सकती है।

रूस पर दबाव बढ़ाने की रणनीति

एनबीसी न्यूज़ की एक रिपोर्ट के अनुसार, स्कॉट बेसेंट ने रविवार (7 सितंबर, 2025) को स्पष्ट किया कि अमेरिका, यूरोपीय देशों के साथ मिलकर रूस पर आर्थिक दबाव बढ़ाने के लिए कड़े प्रतिबंध लगाने को तैयार है। उन्होंने कहा कि इन उपायों का मुख्य उद्देश्य रूसी अर्थव्यवस्था को कमज़ोर करना है।

बेसेंट ने आगे कहा, "हम रूस पर दबाव बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन इसके लिए हमें अपने यूरोपीय साझेदारों का पूरा समर्थन चाहिए।" अमेरिका का यह बयान दर्शाता है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में रूस को अलग-थलग करने के लिए अमेरिका अब और आक्रामक रुख अपना रहा है। नए टैरिफ का क्रियान्वयन यूरोपीय संघ के सहयोग पर निर्भर करेगा, लेकिन इसके निहितार्थ निश्चित रूप से भविष्य में भारत जैसे देशों के लिए आर्थिक चुनौतियाँ खड़ी कर सकते हैं।