
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के गगनयात्री और देश के नए अंतरिक्ष सितारे ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने कहा कि भारत पहले से ही गगनयान मिशन और अपने अंतरिक्ष स्टेशन की योजना बना चुका है। अब बस इन योजनाओं को धरातल पर उतारने का समय है। उनका मानना है कि यह काल भारत के अंतरिक्ष इतिहास का स्वर्णिम युग बनने जा रहा है, जहां आने वाले समय में कई बड़ी उपलब्धियां देखने को मिलेंगी और भारत से अंतरिक्ष केंद्र की उड़ानें संभव होंगी।
गोमतीनगर विस्तार, लखनऊ में पत्रकारों से बातचीत के दौरान शुभांशु शुक्ला ने कहा कि अंतरिक्ष मिशन बहुत ही चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने बताया कि टीम ने इस तरह की परिस्थितियां बनाई हैं, जिसमें अंतरिक्ष में रहना और काम करना संभव हो सके।
अपनी अंतरिक्ष यात्रा को याद करते हुए उन्होंने कहा—
“यह अनुभव इतना अनोखा था कि इसे शब्दों में बयां करना कठिन है। जीवन में मैंने हमेशा यही सीखा है कि जब भी कोई चुनौती सामने आए, उसे स्वीकार कर आगे बढ़ना चाहिए। तभी यह समझ आता है कि रास्ता सही है या गलत।”
अंतरिक्ष में किए गए प्रयोगों के बारे में उन्होंने बताया कि सभी प्रयोग सफल रहे और ये आने वाले गगनयान मिशन के लिए बेहद अहम साबित होंगे।
उन्होंने कहा कि माइक्रोग्रैविटी में रहना और काम करना आसान नहीं था। शुरुआती कुछ दिन कठिन लगे, लेकिन धीरे-धीरे सब सामान्य हो गया। धरती पर लौटने के बाद भी कई चुनौतियां थीं, जिन्हें उन्होंने दृढ़ इच्छाशक्ति से पार किया।
पहली बार अंतरिक्ष से भारत को देखने का अनुभव उनके लिए बेहद खास रहा। अपनी आस्था और विश्वास के बारे में शुभांशु ने कहा कि आस्था हर किसी के जीवन में होती है, परंतु उनकी सबसे बड़ी ताकत उनकी टीम पर भरोसा था, जिसने उन्हें अंतरिक्ष तक पहुंचाया।
जब उनसे पूछा गया कि धरती और अंतरिक्ष में से किसे चुनेंगे, तो उन्होंने सीधा उत्तर देने के बजाय कहा—
“अंतरिक्ष मिशन चुनौतियों से भरा है। हम अंतरिक्ष इसलिए जाते हैं ताकि धरती को बेहतर बना सकें। यह गर्व की बात है कि पहली बार किसी भारतीय वैज्ञानिक को अंतरिक्ष में शोध का अवसर मिला और हमने 100 प्रतिशत प्रयोग सफलतापूर्वक पूरे किए।”