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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : नैनीताल की प्रसिद्ध नैनी झील इन दिनों अपनी गहराइयों में दम तोड़ती ऑक्सीजन के कारण मुश्किल दौर से गुजर रही है। झील के तल में स्थापित किया गया कृत्रिम ऑक्सीजन सिस्टम अब जर्जर हो चुका है। उसकी डिस्क ट्यूबें खराब होने लगी हैं, जिससे पानी में घुलित ऑक्सीजन लगातार कम हो रही है। इस वजह से मछलियों और अन्य जलीय जीवों के अस्तित्व पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है और झील की स्वच्छता भी प्रभावित हो रही है।

झील के इस बिगड़ते हालात को देखते हुए डिस्क ट्यूबों की जल्द मरम्मत बेहद जरूरी हो गई है। प्रमुख सचिव आवास आर. मीनाक्षी सुंदरम ने नैनीताल विकास प्राधिकरण से पूरी रिपोर्ट मांगी। प्राधिकरण ने बताया कि एयरेशन सिस्टम की मरम्मत के लिए 5.7 करोड़ रुपये का इस्टीमेट तैयार कर डीपीआर शासन को भेज दिया गया है। अब आवास विभाग ने बजट स्वीकृति की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उम्मीद है कि जल्द ही झील में फिर से ऑक्सीजन के ताज़ा बुलबुले उठेंगे और जल जीवन को नई ऊर्जा मिलेगी।

नैनीताल विकास प्राधिकरण के सचिव विजयनाथ शुक्ल ने बताया कि मरम्मत के लिए सर्वे पूरा हो चुका है और डीपीआर भी तैयार है। जैसे ही बजट जारी होगा, डिस्क की मरम्मत कार्य शुरू कर दिया जाएगा। इससे झील को फिर से नवजीवन मिलने की उम्मीद है।

क्यों बढ़ रहा है खतरा?

नैनी झील पिछले 18 सालों से कृत्रिम ऑक्सीजन पर निर्भर है। यह एयरेशन सिस्टम वर्ष 2007 में लगाया गया था, लेकिन डिस्क की उम्र सिर्फ पांच साल निर्धारित थी। 2012 में इसकी मरम्मत जरूरी थी, मगर अब तक वही पुरानी डिस्कें चल रही हैं।

ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, झील में लगे दो फ्लोमीटरों के छह पाइप पूरी तरह ऑक्सीजन सप्लाई नहीं कर पा रहे, कई पाइप बेहद धीमी सप्लाई दे रहे हैं और कुछ पाइप फट चुके हैं, जिससे ऑक्सीजन लीकेज भी हो रही है।

एयरेशन सिस्टम क्यों जरूरी है?

  • झील में ऑक्सीजन की कमी दूर करता है
  • मछलियों और जलीय जीवों को सुरक्षित रखता है
  • अत्यधिक शैवाल वृद्धि पर रोक लगाता है
  • पानी की गुणवत्ता सुधारता है
  • बदबू और काली परत बनने से रोकता है

मुख्य तथ्य:

  • झील को अब 24 घंटे कृत्रिम ऑक्सीजन दी जा रही है।
  • घुलित ऑक्सीजन का स्तर 3.8 से 8.8 mg/L के बीच मिला है।
  • झील के निचले हिस्सों में यह स्तर बेहद कम है, जो जलीय जीवन के लिए खतरनाक है।

एयरेशन सिस्टम कैसे काम करता है?

  • सिस्टम का कंप्रेसर हवा को खींचकर दबाव के साथ झील में मौजूद डिफ्यूज़र तक भेजता है।
  • डिफ्यूज़र में बने छोटे छिद्र हवा को सूक्ष्म बुलबुलों के रूप में पानी में छोड़ते हैं।
  • ये बुलबुले ऊपर उठते हुए पानी में ऑक्सीजन घोलते जाते हैं।
  • डिफ्यूज़र तल पर लगाए जाते हैं, जिससे ऑक्सीजन झील के सबसे गहरे हिस्सों तक पहुंचती है।