
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तरकाशी में गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण के तहत झाला से जांगला के बीच लगभग 10 किलोमीटर में 6000 से अधिक देवदार के पेड़ चिन्हित किए गए हैं। वन विभाग और सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने इन पेड़ों पर क्रमांक अंकित कर चिह्नित किया है, ताकि आगे की योजना बनाई जा सके।
हालांकि, इस क्षेत्र की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) अभी स्वीकृति के लिए भेजी गई है और किसी भी पेड़ की कटाई या छपान का आदेश अभी तक जारी नहीं हुआ है।
यह क्षेत्र हिमालय के संवेदनशील और पर्यावरण-संवेदनशील (इको-सेंसिटिव) क्षेत्र में आता है, इसलिए कई पर्यावरण संगठनों ने पेड़ों के चिन्हांकन और संभावित कटाई पर कड़ा विरोध जताया है। उनका कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में देवदार पेड़ों की कटाई से पारिस्थितिकी तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और भूस्खलन व हिमस्खलन का खतरा भी बढ़ जाएगा।
चारधाम सड़क परियोजना के तहत ऋषिकेश से उत्तरकाशी तक सड़क चौड़ीकरण का कार्य पहले ही पूरा हो चुका है। अब चुंगी बड़ेथी से भैरव घाटी तक करीब 90 किलोमीटर सड़क को 12 मीटर चौड़ा करने का काम बीआरओ पांच चरणों में करेगा। पहला चरण भैरव घाटी से झाला तक है, जबकि दूसरा झाला से सुक्की प्रथम मोड़ तक है, जिसमें सुक्की बाईपास और भागीरथी नदी पर पुल निर्माण भी शामिल है। तीसरा, चौथा और पांचवां चरण भी क्रमशः सुक्की से तेखला व चुंगी बड़ेथी से तेखला के बीच प्रस्तावित हैं।
वन अधिकारी डीपी बलूनी ने बताया कि अभी तक पेड़ों की कटाई का कोई आदेश नहीं आया है और डीपीआर की मंजूरी के बाद ही आगे की प्रक्रिया शुरू होगी। बीआरओ के डिप्टी डायरेक्टर जनरल प्रसन्ना जोशी ने भी बताया कि अभी तक कोई पेड़ काटा नहीं गया है, केवल गिनती और चिन्हांकन का काम हुआ है।