
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को भगवान गणेश की जयंती के रूप में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी को कलंक चतुर्थी और पत्थर चौथ के नाम से भी जाना जाता है।
धार्मिक मान्यता है कि भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी यानी गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए, अन्यथा कलंक लग सकता है। अगर गणेश चतुर्थी के दिन गलती से भी चंद्रमा के दर्शन हो जाएं, तो ऐसी मान्यता है कि व्यक्ति पर झूठा कलंक लग सकता है। उसे पाप लगेगा और झूठे आरोपों का सामना करना पड़ेगा। धार्मिक मान्यता है कि इस कलंक से बचने के लिए किसी दूसरे व्यक्ति की छत पर 5 पत्थर मारने चाहिए। आइए जानते हैं कि इस दिन को पत्थर चौथ और कलंक चतुर्थी क्यों कहा जाता है?
गणेश चतुर्थी को पत्थर चौथ या कलंक चतुर्थी क्यों कहा जाता है?
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार गणेश जी बड़े प्रेम से अपनी प्रिय मिठाई खा रहे थे। तभी वहाँ से गुज़र रहे चंद्रदेव ने भगवान गणेश के पेट और हाथी जैसे मुख को देखकर उनकी हँसी उड़ाई और उनकी सुंदरता का बखान करते हुए उनका मज़ाक उड़ाया। इससे क्रोधित होकर गणेश जी ने चंद्रदेव को अपना रूप खोने और सभी कलाओं को नष्ट करने का श्राप दे दिया और यह भी कहा कि जो भी तुम्हें देखेगा उसे कलंकित होना पड़ेगा। तब चंद्रदेव को अपनी भूल का एहसास हुआ और उन्होंने भगवान गणेश की विधिवत पूजा और तपस्या की। उन्होंने अपनी भूल के लिए क्षमा भी मांगी।
उनकी आराधना से प्रसन्न होकर भगवान गणेश ने चंद्रदेव से वरदान मांगने को कहा। तब चंद्रदेव ने श्राप को निष्फल करने का वरदान मांगा। इस पर भगवान गणेश ने अपने द्वारा दिया गया श्राप वापस तो नहीं लिया, लेकिन श्राप को सीमित कर दिया और चंद्रमा के दर्शन से कलंकित होने के वरदान को केवल इसी चतुर्थी पर मान्य रखा। जिस दिन यह घटना घटी, उस दिन भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि थी।
समाधान
इस दिन गलती से चांद देखने वालों के लिए एक उपाय प्रचलित है। इसमें दोष दूर करने के लिए व्यक्ति को किसी दूसरे व्यक्ति की छत पर 5 पत्थर फेंकने होते हैं। कहा जाता है कि इस टोटके को करने से दोष से मुक्ति मिलती है।