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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : भारत सरकार ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT) के एक सात साल पुराने आदेश को रद्द करने के लिए शुक्रवार को उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। इस याचिका में कैबिनेट सचिव, स्वास्थ्य सचिव, केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC), और दिल्ली एम्स को IFS अधिकारी संजीव चतुर्वेदी की मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश देने वाले 25 मई के अवमानना नोटिस को भी रद्द करने की मांग की गई है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ में भारत सरकार की ओर से कैबिनेट सचिव के प्रतिनिधित्व में अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने बहस की। यह मामला नौकरशाही और सरकारी अधिकारियों के अपराध और भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठाने वाले अधिकारियों की सेवा की प्रभावशीलता और न्यायिक प्रक्रियाओं पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

7 साल पुरानी APAR बनी केंद्र के गले की फांस, कैट के आदेशों पर शक!

पूरा मामला IFS अधिकारी संजीव चतुर्वेदी के वर्ष 2015-16 की वार्षिक गोपनीय मूल्यांकन रिपोर्ट (ACR/APAR) को डाउनग्रेड किए जाने से जुड़ा है। जून 2012 से जून 2016 तक दिल्ली एम्स में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात चतुर्वेदी ने अपने कार्यकाल के दौरान वरिष्ठ नौकरशाहों और डॉक्टरों के विरुद्ध भ्रष्टाचार के मामले उजागर किए थे। उनका आरोप है कि इन मामलों में की गई कार्रवाई के प्रतिशोध में ही उनकी APAR को जानबूझकर डाउनग्रेड किया गया। चतुर्वेदी ने जुलाई 2017 में CAT की नैनीताल सर्किट पीठ में याचिका दायर कर APAR को डाउनग्रेड करने के आदेश को चुनौती दी थी। सितंबर 2017 में, CAT ने APAR downgrade के आदेश के क्रियान्वयन और प्रभाव पर रोक लगा दी थी।

कैबिनेट सचिव का आवेदन खारिज, अवमानना नोटिस जारी: सरकार की चिंता बढ़ी!

अप्रैल 2018 में, तत्कालीन कैबिनेट सचिव ने CAT की नैनीताल सर्किट पीठ में एक प्रार्थना पत्र दायर कर संजीव चतुर्वेदी के ** मामले** में 2015-16 की ACR को डाउनग्रेड किए जाने से संबंधित CAT के आदेश को रद्द करने की मांग की थी, जिसे ** tribunal** ने खारिज कर दिया था। हाल ही में, 25 मई को, CAT ने चतुर्वेदी की याचिका पर सुनवाई के बाद कैबिनेट सचिव, स्वास्थ्य सचिव, CVC और दिल्ली AIIMS के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी कर सभी मांगे गए दस्तावेज 30 दिनों के भीतर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।

सरकार की नई याचिका: क्यों मांगे गए पक्षकारों के नाम में बदलाव?

भारत सरकार ने अब कैबिनेट सचिव की ओर से 23 फरवरी 2023 को पारित आदेशों को भी रद्द करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। याचिका में यह भी अनुरोध किया गया है कि CAT में चतुर्वेदी द्वारा दायर मूल वाद में पक्षकारों की सूची से कैबिनेट सचिव का नाम हटाकर, उसकी जगह केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के सचिव का नाम शामिल किया जाए। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के सचिव की ओर से भी अलग से याचिका दायर की गई है, जो सरकार की बढ़ती चिंता और पूरे मामले की गंभीरता को दर्शाता है।

सरकारी लॉबी और अधिकारी एक साथ: या व्यक्तिगत शिकायत की 'बड़ी' लड़ाई?

सरकार की इस कार्रवाई को कई दृष्टियों से देखा जा रहा है। एक ओर, यह नौकरशाही द्वारा किसी अधिकारी द्वारा भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठाने पर दबाव बनाने का प्रयास हो सकता है। दूसरी ओर, यह CAT द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों के विरुद्ध अवमानना नोटिस जारी करने के अधिकार क्षेत्र को चुनौती देने का प्रयास भी हो सकता है। अटॉर्नी जनरल की बहस यह स्पष्ट करती है कि सरकार इस मामले को बहुत गंभीरता से ले रही है। यह कानूनी लड़ाई सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही के भविष्य को तय कर सकती है।