img

Prabhat Vaibhav,Digital Desk : क्या आपने कभी सोचा है कि एक पनडुब्बी समुद्र की गहराई में अपने दुश्मन का पता कैसे लगाती है? क्योंकि पनडुब्बी चारों तरफ से बंद है और बाहर देखने के लिए कुछ भी नहीं है। आज दुनिया के कई बड़े देशों के पास इतनी शक्तिशाली पनडुब्बियां हैं कि वे युद्ध के मैदान में दुश्मन को परास्त कर सकती हैं।

युद्ध के बदलते स्वरूप में दुनिया भर के कई देश इन पनडुब्बियों को अपने नौसैनिक बेड़े में शामिल कर रहे हैं, जो समुद्र के भीतर से हमला करने में सक्षम हैं।

हालाँकि, पनडुब्बियों का उपयोग केवल युद्ध में ही नहीं किया जाता है। पनडुब्बियों का उपयोग कई पानी के नीचे के अनुसंधान मिशनों में भी किया जाता है।

पनडुब्बियां समुद्र के नीचे कई किलोमीटर की गहराई पर काम करती हैं। यह समुद्र की तलहटी में कई दिनों से लेकर कई महीनों तक रह सकता है।

क्या आपने कभी सोचा है कि एक पनडुब्बी समुद्र की गहराई में अपने दुश्मन का पता कैसे लगाती है? क्योंकि पनडुब्बी चारों तरफ से बंद है और बाहर देखने के लिए कुछ भी नहीं है।

इसके लिए पनडुब्बियों में सोनार तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। पनडुब्बियां आगे बढ़ते समय ध्वनि तरंगें उत्सर्जित करती हैं। यदि ये तरंगें वापस लौटती हैं, तो 'मेजबान पनडुब्बी' इस डेटा का विश्लेषण करके यह निर्धारित करती है कि ध्वनि तरंगें कहां टकराईं।

पनडुब्बियां भी इस तकनीक का उपयोग करके दुश्मनों का पता लगाती हैं। जब ध्वनि तरंगें वापस आती हैं, तो उनका विश्लेषण करके यह पता लगाया जाता है कि दुश्मन की पनडुब्बी कितनी दूरी पर है और वह किन हथियारों से लैस है।