
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रूसी तेल के व्यापार और खरीद को लेकर भारत पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है। इस दबाव के बावजूद, भारत ने रूस से तेल खरीदना जारी रखा है। इस बीच, रूस ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए भारत को आपूर्ति किए जाने वाले कच्चे तेल पर छूट बढ़ाकर 3-4 डॉलर प्रति बैरल कर दी है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने भारतीय खरीद पर 50% का अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की धमकियों के बावजूद भारत रूस से सस्ते दामों पर तेल खरीद रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, रूस ने भारतीय रिफाइनरियों के लिए कच्चे तेल पर छूट बढ़ाकर 3 से 4 डॉलर प्रति बैरल कर दी है। इससे पहले, पिछले हफ़्ते यह छूट 2.50 डॉलर और जुलाई में सिर्फ़ 1 डॉलर थी। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, ये नई कीमतें सितंबर और अक्टूबर में भारत भेजे जाने वाले तेल पर लागू होंगी।
रूस ने भारत को यह छूट ऐसे समय दी है जब अमेरिका लगातार भारत की आयात नीति पर सवाल उठा रहा है। अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने पर भारत पर 25% का अतिरिक्त टैरिफ लगाया था, जिसे अब बढ़ाकर 50% कर दिया गया है। ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो ने तो यहाँ तक आरोप लगाया है कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदता है, उसे रिफाइन करता है और यूरोपीय तथा अफ्रीकी देशों को प्रीमियम पर बेचता है, जिससे रूस को अपने युद्ध के लिए धन जुटाने में मदद मिलती है।
भारत ने इन आरोपों और दबावों के ख़िलाफ़ अपना मज़बूत पक्ष रखा है। भारत ने कहा है कि रूस के साथ उसका ऊर्जा व्यापार पूरी तरह से क़ानूनी है और कोई भी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध कच्चे तेल की ख़रीद को नहीं रोकता। भारत ने अमेरिका-भारत व्यापार समझौते को "एकतरफ़ा आपदा" भी कहा है। भारत ने साफ़ किया है कि वह रूस से बड़ी मात्रा में तेल और सैन्य उपकरण ख़रीदता है, जबकि अमेरिका से बहुत कम ख़रीदता है।
रूस भारत का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है
आँकड़े बताते हैं कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है। 2022 से, भारत ने रूस से कच्चे तेल की अपनी खरीद में ज़बरदस्त वृद्धि की है, जो 1% से बढ़कर 40% हो गई है। 2024-25 में, रूस ने भारत द्वारा आयातित 54 लाख बैरल तेल का 36% आपूर्ति किया, जिससे रूस इराक, सऊदी अरब और अमेरिका जैसे पारंपरिक आपूर्तिकर्ताओं को पीछे छोड़ते हुए भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया। यह पूरा घटनाक्रम वैश्विक राजनीति में भारत की बढ़ती आर्थिक और कूटनीतिक स्वायत्तता को दर्शाता है।