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Prabhat Vaibhav, Digital Desk : अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए ऊँचे टैरिफ़ ने भारतीय झींगा निर्यातकों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ऐसे समय में रूस से राहत की उम्मीद जग रही है। इसी कड़ी में, रूस के उप-प्रधानमंत्री दिमित्री पेत्रुशेव इस महीने भारत की यात्रा पर आ रहे हैं। उनकी इस यात्रा का मुख्य मक़सद कृषि क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना है, जिसमें खास ध्यान भारतीय झींगा आयात बढ़ाने और रूस से उर्वरक की आपूर्ति सुनिश्चित करने पर रहेगा।

अमेरिका भारतीय झींगा के लिए सबसे बड़ा बाज़ार रहा है, लेकिन ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए 50% से ज़्यादा टैरिफ़ ने इस व्यापार को गहरी चोट पहुँचाई है। इसकी वजह से भारत को इक्वाडोर, इंडोनेशिया और वियतनाम जैसे देशों से कड़ी प्रतिस्पर्धा झेलनी पड़ रही है। ऐसे हालात में, रूस भारतीय निर्यातकों के लिए नया और स्थिर विकल्प साबित हो सकता है।

पेत्रुशेव की इस यात्रा के दौरान वे भारत के कुछ मुख्यमंत्रियों से भी मुलाक़ात करेंगे, ताकि दोनों देशों के बीच कृषि और व्यापार को लेकर ठोस समझौते किए जा सकें। अगर रूस भारतीय झींगा आयात में बढ़ोतरी करता है, तो भारत के निर्यातकों को अमेरिकी टैरिफ़ से हुई भारी क्षति की भरपाई करने का अवसर मिलेगा।

सिर्फ झींगा ही नहीं, भारत के लिए रूस से लगातार और पर्याप्त मात्रा में उर्वरक की आपूर्ति भी बेहद अहम है। यह भारतीय किसानों और कृषि उत्पादन दोनों के लिए अनिवार्य है।

दूसरी ओर, अमेरिका लगातार दबाव बना रहा है। ट्रंप प्रशासन ने जी-7 देशों से भारत और चीन पर अतिरिक्त टैरिफ़ लगाने का सुझाव भी दिया है। हालांकि, भारत ने साफ कर दिया है कि वह अपनी ऊर्जा सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगा। रूस से तेल खरीदने को लेकर लगाए जा रहे आरोपों को भी भारत ने अनुचित बताया है।

रूसी उप-प्रधानमंत्री की यह यात्रा न सिर्फ़ व्यापार बल्कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति की जटिल परिस्थितियों के बीच भारत-रूस के रिश्तों को और मज़बूत करने का संकेत देती है।

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