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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने देश की ओर से अपने विचार साझा किए। उन्होंने अपने संबोधन की शुरुआत ऐसे की:
"भारत की जनता की ओर से नमस्कार। आज हम उस अद्वितीय संस्था की स्थापना के आठ दशक बाद यहां एकत्र हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र का चार्टर केवल युद्ध रोकने का नहीं, बल्कि शांति बनाने और हर व्यक्ति की गरिमा बनाए रखने का आह्वान करता है।"

जयशंकर ने कहा कि भारत आज की दुनिया को तीन मूल विचारों के नजरिए से देखता है:

आत्मनिर्भरता

आत्मरक्षा

आत्मविश्वास

उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत अपनी जनता की सुरक्षा और हितों की रक्षा के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

आतंकवाद पर शून्य सहिष्णुता

विदेश मंत्री ने कहा कि भारत की नीति स्पष्ट है: आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस, मजबूत सीमा सुरक्षा, वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना और विदेशों में रहने वाले भारतीय समुदाय की मदद करना। इसके साथ ही भारत हमेशा अपनी स्वतंत्र सोच बनाए रखेगा और ग्लोबल साउथ की आवाज भी बनकर रहेगा।

वैश्विक आर्थिक चुनौतियों पर फोकस

जयशंकर ने अपने भाषण में वैश्विक आर्थिक मुद्दों को भी उठाया। उन्होंने कहा कि आज दुनिया में टैरिफ की अस्थिरता, सीमित आपूर्ति स्रोतों पर निर्भरता, तकनीकी नियंत्रण, सप्लाई चेन और खनिजों पर पकड़ जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। इसके अलावा समुद्री मार्गों की सुरक्षा और वैश्विक कार्यस्थल पर पाबंदियां भी चिंता का विषय हैं।

अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर सवाल

जयशंकर ने चुनौतीपूर्ण सवाल उठाया कि ऐसे हालात में अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना जरूरी है, लेकिन क्या वास्तव में हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं? और संयुक्त राष्ट्र ने इन मुद्दों पर क्या वास्तविक फर्क डाला है?