
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि को महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन स्नान, सत्यनारायण पूजा, व्रत और दान आदि का विशेष महत्व होता है। इसलिए पूर्णिमा तिथि को एक शुभ पर्व के रूप में मनाया जाता है। पूर्णिमा तिथि किसी भी माह की अंतिम तिथि होती है और उसके बाद एक नया माह प्रारंभ होता है।
रविवार, 7 सितंबर 2025 को भाद्रपद या भादर्वा मास की पूर्णिमा तिथि होगी। लेकिन इसी दिन साल का दूसरा चंद्र ग्रहण लगने वाला है, जो पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा और भारत में भी दिखाई देगा। ऐसे में यहाँ सूतक मान्य होगा। लेकिन समस्या यह है कि ग्रहण की छाया में पूर्णिमा पूजा आदि कैसे और कब की जाएगी, आइए जानते हैं-
पूर्णिमा पर ग्रहण की छाया
हिंदू धर्म में सूर्य और चंद्र ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ जैसे धार्मिक कार्य वर्जित माने जाते हैं। ग्रहण का सूतक लगते ही ये नियम लागू हो जाते हैं। चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है।
चंद्र ग्रहण और सूतक का समय
भारतीय समयानुसार, चंद्र ग्रहण 7 सितंबर की रात 09:58 बजे शुरू होगा और देर रात (8 सितंबर) 1:26 बजे समाप्त होगा। ग्रहण का सूतक दोपहर 12:57 बजे शुरू हो जाएगा और इसी समय से धार्मिक गतिविधियाँ भी बंद हो जाएँगी।
चंद्रग्रहण की छाया में पूर्णिमा की पूजा कैसे होगी?
चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा के दिन ही लगता है। ऐसे में जब भी चंद्र ग्रहण लगता है, लोग इस बात को लेकर चिंतित हो जाते हैं कि ग्रहण के दौरान पूर्णिमा की पूजा कैसे करें और इस समय किए गए व्रत और दान-पुण्य का फल मिलेगा या नहीं। तो आइए जानते हैं इसके बारे में-
पूर्णिमा के दिन स्नान का समय | 7 सितंबर 2025, सुबह 04:31 से 05:16 बजे तक |
पूर्णिमा पूजा मुहूर्त | 7 सितंबर 2025, सुबह 7:36 से दोपहर 12:19 बजे तक |
चंद्रोदय का समय | 7 सितंबर 2025, शाम 06:26 बजे |
नोट- चंद्र ग्रहण का सूतक दोपहर 12:57 बजे से शुरू होगा। ऐसे में आपको दोपहर 12:19 बजे तक स्नान, दान और पूजा-पाठ जैसे धार्मिक कार्य संपन्न कर लेने चाहिए। लेकिन व्रत ग्रहण के बाद भी जारी रखना चाहिए। पूर्णिमा व्रत का पारण अगले दिन यानी 8 सितंबर 2025 को करना चाहिए।