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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों का दर्द अब सरकार के सख्त रवैये के बाद दूर होता दिख रहा है। लंबे समय से चीनी मिलों पर अटका हजारों करोड़ रुपये का गन्ना मूल्य बकाया अब सरकार के लिए "नो टॉलरेंस" जोन बन गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कड़े निर्देशों के बाद, अब उन चीनी मिलों पर गाज गिरनी शुरू हो गई है जो किसानों का पसीना बहाकर भी उनका वाजिब हक समय पर नहीं दे रही हैं। गुरुवार को इसी क्रम में बरेली जिले की बहेड़ी स्थित केसर चीनी मिल और नवाबगंज क्षेत्र की ओसवाल चीनी मिल की संपत्तियों को कुर्क करने की बड़ी कार्रवाई की गई है, जो प्रदेश में किसानों के बकाया भुगतान को लेकर सरकार की दृढ़ता को दर्शाती है।

करोंड़ों का बकाया और बढ़ता असंतोष: क्यों मजबूर हुई सरकार?

बरेली की केसर चीनी मिल पर किसानों का ₹168 करोड़ (वहीं कुछ अन्य स्रोतों के अनुसार ₹182.30 करोड़ से अधिक) और नवाबगंज की ओसवाल चीनी मिल पर ₹70 करोड़ का भारी-भरकम गन्ना मूल्य बकाया है।ये बकाया भुगतान किसानों के लिए जीवन-मरण का प्रश्न बन गए हैं, क्योंकि गन्ना ही उनकी आय का मुख्य स्रोत है। पेराई सत्र खत्म हुए कई महीने बीत चुके हैं, लेकिन किसानों को उनका भुगतान नहीं मिल रहा था, जिससे उनमें लगातार असंतोष बढ़ रहा था। इसी को देखते हुए, जिलाधिकारी के आदेश पर इन चीनी मिलों के खिलाफ पहले ही राजस्व वसूली प्रमाण पत्र (RC) जारी किए जा चुके थे, लेकिन फिर भी भुगतान न होने पर अब प्रशासन ने सीधे कुर्की की कार्रवाई शुरू कर दी है।

ऐसे की गई कार्रवाई: अब नीलाम होंगी कुर्क की गई संपत्तियां!

बहेड़ी के उपजिलाधिकारी ने केसर चीनी मिल की 11.886 हेक्टेयर जमीन कुर्क करने का आदेश जारी किया।यह कोई सामान्य भूखंड नहीं, बल्कि मुड़िया फार्म की रणनीतिक जमीन है। जिला गन्ना अधिकारी दिलीप कुमार सैनी और नायब तहसीलदार के नेतृत्व में एक प्रशासनिक टीम ने मौके पर पहुंचकर इस जमीन को कुर्क किया और चेतावनी के तौर पर लाल झंडी लगा दी। अब प्रशासन इस कुर्क की गई जमीन की जल्द ही नीलामी प्रक्रिया शुरू करेगा। एसडीएम रत्निका श्रीवास्तव ने स्पष्ट किया है कि यह कार्रवाई पूरी तरह से किसानों के हितों को ध्यान में रखकर की गई है। नीलामी से प्राप्त धन सीधे किसानों को उनके बकाया गन्ना मूल्य के रूप में दिया जाएगा, जिससे उन्हें बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।

इसी तर्ज पर हाफिजगंज में स्थित ओसवाल चीनी मिल पर भी प्रशासन का शिकंजा कस गया है। ओसवाल चीनी मिल पर किसानों का लगभग ₹70 करोड़ का बकाया था। एसडीएम नवाबगंज के निर्देश पर तहसीलदार की टीम ने गुरुवार को चीनी मिल के गोदाम को सील कर दिया और परिसर में नोटिस चस्पा कर लाल झंडे लगवा दिए गए।यह सख्त कदम दिखाता है कि सरकार अब केवल नोटिस जारी करने तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि वास्तविक कार्रवाई करके किसानों को न्याय दिलाएगी।

क्या यह सिर्फ शुरुआत है? यूपी में बकाया चुकाने के लिए दबाव जारी!

उत्तर प्रदेश में लगभग ₹4000 करोड़ से अधिक का गन्ना किसानों का भुगतान चीनी मिलों पर अटका हुआ है। इसमें प्राइवेट चीनी मिलों का बकाया सर्वाधिक है। यह केवल इन तीन मिलों का मामला नहीं है, बल्कि इससे पहले भी यूपी में गन्ना भुगतान में लेटलतीफी के चलते कई चीनी मिलों के खिलाफ RC जारी की गई थीं, जिनमें बरखेड़ा (पीलीभीत), मकसूदापुर (शाहजहांपुर), और गोंडा की चीनी मिलें भी शामिल थीं। स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कई बार चेतावनी दी है कि किसानों को समय पर भुगतान न करने वाली मिलों पर सख्त कार्रवाई होगी। इन कुर्कियों और सीलिंग की कार्रवाइयों से अन्य डिफाल्टर चीनी मिलों को भी स्पष्ट संदेश गया है कि यदि उन्होंने किसानों का भुगतान जल्द नहीं किया तो उनकी संपत्तियां भी जब्त कर ली जाएंगी। यह निश्चित रूप से किसानों को राहत पहुंचाएगा और भविष्य में चीनी मिलों को समय पर भुगतान करने के लिए मजबूर करेगा।