
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : संयुक्त राज्य अमेरिका (US) में H-1B वीजा नियमों को सख्त करने के बाद, ब्रिटेन ने भी अपने आव्रजन कानूनों में बड़ा बदलाव किया है, जिससे वहां काम कर रहे भारतीय कामगार मुश्किल में पड़ सकते हैं। ब्रिटिश लेबर पार्टी की कीर स्टारमर सरकार ने घोषणा की है कि यूनाइटेड किंगडम (UK) में विदेशी कामगारों को अब स्थायी निवास पाने के लिए पांच साल के बजाय दस साल इंतजार करना होगा। ब्रिटिश गृह सचिव शबाना महमूद ने सोमवार (29 सितंबर) को इस कदम की घोषणा की, जिसमें अप्रवासियों को स्थायी निवास के योग्य होने से पहले खुद को 'अच्छा नागरिक' साबित करने के लिए राष्ट्रीय बीमा योगदान का भुगतान करने और उच्च गुणवत्ता वाली अंग्रेजी सीखने जैसी नई शर्तों को पूरा करना होगा। ये सख्त नियम भारी वित्तीय और मनोवैज्ञानिक बोझ डाल सकते हैं, खासकर उन भारतीय नागरिकों पर जो पढ़ाई या काम के लिए लंबे समय से यूके में रह रहे हैं।
स्थायी निवास की अवधि दोगुनी हुई: नई ब्रिटिश नीति
अमेरिका द्वारा एच-1बी वीज़ा आवेदन शुल्क बढ़ाकर 1,00,000 डॉलर करने के बाद, अब ब्रिटिश सरकार ने भी कानूनों में बदलाव किया है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटिश गृह सचिव शबाना महमूद ने घोषणा की है कि विदेशी कर्मचारियों को अब स्थायी निवास के लिए दोगुना इंतज़ार करना होगा, जो 5 साल से बढ़कर 10 साल हो जाएगा। इसका मतलब है कि काम या पढ़ाई के लिए ब्रिटेन में बसने के इच्छुक लोगों के लिए अनिश्चितता की अवधि दोगुनी हो गई है।
नए नियमों की मुख्य शर्तें और भारतीयों पर उनका प्रभाव
स्टार्मर सरकार द्वारा अवैध आव्रजन पर कार्रवाई के तहत शुरू किए गए नए नियम, स्थायी निवास के लिए आवेदन करने वालों पर लागू होंगे, तथा नई शर्तें इस प्रकार हैं:
- प्रतीक्षा अवधि दोगुनी कर दी गई: अब ब्रिटेन में 5 वर्ष के स्थान पर 10 वर्ष तक रहना होगा।
- वित्तीय बोझ: आवेदकों को दोगुनी अवधि के लिए राष्ट्रीय बीमा अंशदान का भुगतान करना होगा।
- समाज के प्रति प्रतिबद्धता: आवेदकों को उच्च गुणवत्ता वाली अंग्रेजी सीखनी होगी और स्थानीय धार्मिक संगठनों में स्वयंसेवा करके स्वयं को 'अच्छे नागरिक' के रूप में साबित करना होगा।
- नई परीक्षाएं: उन्हें कई नई परीक्षाएं भी पास करनी होंगी।
भारतीय मूल के लोग बड़ी संख्या में ब्रिटेन में पढ़ाई और काम करने के लिए रहते हैं। इन नियमों का सबसे ज़्यादा असर भारतीय नागरिकों पर पड़ने की संभावना है, क्योंकि स्थायी निवास के लिए आवेदन करने की अवधि दोगुनी होने से उन पर आर्थिक बोझ बढ़ जाएगा। इसके अलावा, स्थायी निवास की प्रक्रिया में ज़्यादा समय लगने के कारण वे लंबे समय तक अनिश्चितता की स्थिति में फँसे रह सकते हैं। हालाँकि, सरकार ने कहा है कि इन उपायों से स्थायी निवास पाने वालों के लिए नागरिकता की राह आसान होगी और उन्हें अन्य लाभ भी मिलेंगे।