Prabhat Vaibhav,Digital Desk : दुनिया में कई ऐसे देश हैं जो कभी न कभी किसी विदेशी ताकत के अधीन रहे हैं। इन देशों ने गुलामी का दर्द झेला है। अंग्रेजों ने भारत पर लगभग 200 सालों तक राज किया, सिर्फ़ भारत ही नहीं, ब्रिटेन ने दुनिया के 56 देशों को गुलाम बनाया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ देश ऐसे भी हैं जो कभी किसी के गुलाम नहीं रहे। आइए जानते हैं ऐसे देश के बारे में जो कभी पूरी तरह से किसी साम्राज्य के अधीन नहीं रहा।
नेपाल पर किसी का शासन नहीं था।
हम बात कर रहे हैं नेपाल की। जी हाँ, भारत का पड़ोसी देश नेपाल, जो इस समय राजनीतिक और सामाजिक संकट से जूझ रहा है, आज तक किसी का गुलाम नहीं बना। इतिहास के पन्ने पलटें तो पता चलता है कि भारत समेत दुनिया के कई देश विदेशी ताकतों के गुलाम रहे। भारत को कई आक्रमणकारियों ने लूटा और बर्बाद भी किया, अंग्रेजों ने भी दो सदियों तक भारत पर राज किया, लेकिन कोई भी विदेशी ताकत नेपाल को गुलाम नहीं बना पाई। लेकिन इसके पीछे क्या वजह है, आइए जानते हैं।
नेपाल पर कोई शासन क्यों नहीं कर सका?
हिमालय की ऊँची चोटियाँ और दुर्गम दर्रे नेपाल को एक प्राकृतिक सुरक्षा कवच प्रदान करते थे। इन पर्वतों ने न केवल विदेशी आक्रमणकारियों को रोका, बल्कि नेपाली जनता का मनोबल भी मज़बूत किया। अपनी बहादुरी और युद्ध कौशल के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध नेपाल के गोरखा सैनिकों ने भी देश की रक्षा में अहम भूमिका निभाई।
मुस्लिम शासकों द्वारा आक्रमण
नेपाल पर मुस्लिम शासकों ने भी आक्रमण किए, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। सबसे पहले, शम्सुद्दीन इलियास शाह ने 1349 में नेपाल पर आक्रमण किया, लेकिन गोरखा सेना ने उसे पराजित कर वापस भेज दिया।
अंग्रेजों के साथ संधि
18वीं और 19वीं शताब्दी में, जब ब्रिटिश साम्राज्य भारत में अपनी जड़ें जमा रहा था, नेपाल ने न केवल अपनी स्वतंत्रता की रक्षा की, बल्कि अंग्रेजों के साथ राजनयिक संबंध भी बनाए रखे। 1814-1816 में, अंग्रेजों और नेपाल के बीच एक युद्ध हुआ, जिसे गोरखा युद्ध के नाम से जाना जाता है। इस युद्ध के बाद, सुगौली की संधि हुई, जिसके तहत नेपाल का एक हिस्सा ब्रिटिश भारत को सौंप दिया गया। इस संधि के बाद भी, नेपाल एक स्वतंत्र राष्ट्र बना रहा और ब्रिटिश शासन के अधीन नहीं आया।




