Prabhat Vaibhav,Digital Desk : पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक तनाव कम नहीं हो रहा है। इज़राइल-हमास संघर्ष के बीच, दो शक्तिशाली अरब देश, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), अब आमने-सामने आ गए हैं। सऊदी अरब ने यमन के तट पर लंगर डाले हुए यूएई के दो जहाजों पर हवाई हमला किया है। सऊदी अरब का दावा है कि इन जहाजों में मौजूद सैन्य उपकरण उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा थे। इस घटना के बाद, सऊदी अरब ने यूएई को अपने सैनिकों को वापस बुलाने के लिए 24 घंटे का अल्टीमेटम भी दिया है।
सऊदी अरब का गंभीर आरोप और अल्टीमेटम
सऊदी अरब ने संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के आक्रामक रवैये पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सऊदी अधिकारियों के अनुसार, यमन के मुकाला बंदरगाह पर जिन जहाजों पर हमला हुआ, उनमें सैन्य वाहन और हथियार थे, जिन्हें यमनी विद्रोही समूहों तक पहुँचाया जाना था। इन उपकरणों का इस्तेमाल सऊदी क्षेत्र पर हमले के लिए किया जा सकता था, जो 'राष्ट्रीय सुरक्षा' के लिए सीधा खतरा है। अपने दावे को पुष्ट करने के लिए, सऊदी अरब ने हमले से पहले UAE के फुजैरा बंदरगाह का एक ड्रोन वीडियो भी जारी किया है, जिसमें इन हथियारों को जहाज पर लादते हुए देखा जा सकता है। सऊदी अरब ने अबू धाबी को कड़े शब्दों में चेतावनी दी है कि यमनी अलगाववादियों का समर्थन करना भारी पड़ सकता है।
यमन में 90 दिनों के लिए आपातकाल और नाकाबंदी
इस घटना के बाद, यमन की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार, प्रेसिडेंशियल लीडरशिप काउंसिल (पीएलसी) ने तत्काल प्रभाव से 90 दिनों के लिए आपातकाल घोषित कर दिया है। इतना ही नहीं, इसने संयुक्त अरब अमीरात के साथ रक्षा समझौते को भी रद्द कर दिया है और 72 घंटे की हवाई, समुद्री और जमीनी नाकाबंदी लागू कर दी है। गौरतलब है कि संयुक्त अरब अमीरात समर्थित अलगाववादी समूह, सदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल (एसटीसी) ने हाल ही में हद्रामौत और महरा प्रांतों के बड़े क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया है, जिसके जवाब में यमनी सरकार ने ये कड़े कदम उठाए हैं।
गठबंधन में दरारें और शांति प्रक्रिया में संकट
राष्ट्रपति नेतृत्व परिषद के प्रमुख रशाद अल-अलीमी ने इस घटना को "अस्वीकार्य तख्तापलट" करार दिया। उन्होंने कहा कि सऊदी अरब के नेतृत्व वाले गठबंधन ने संयुक्त अरब अमीरात से आ रही हथियारों की खेप को निशाना बनाया था। यह संघर्ष यमनी सरकार के लिए अस्तित्व का प्रश्न बन गया है, क्योंकि सरकार के विभिन्न गुट अब सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात समर्थित गुटों में बँट गए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि आंतरिक संघर्ष ईरान समर्थित हाउथी विद्रोहियों के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करेगा, जिन्होंने 2014 से सना पर कब्जा कर रखा है, और शांति वार्ता को खतरे में डाल देगा।




