
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : कोरोना वायरस (COVID-19) एक बार फिर डराने लगा है। ऐसा लगता है कि कुछ राहत के बाद वायरस फिर से फैलने लगा है। कई एशियाई देशों में कोविड के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। हांगकांग, सिंगापुर और थाईलैंड में स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक होती जा रही है। इन देशों में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है और अस्पतालों में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ रही है। भारत में भी नए मामलों को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अभी से सावधानी नहीं बरती गई तो स्थिति और खराब हो सकती है।
The UN health agency has adopted a landmark Pandemic Agreement on tackling future health crises, struck after more than three years of negotiations sparked by the Covid-19 crisis. https://t.co/jKa1laHmkF pic.twitter.com/YJyTntwWl0
— AFP News Agency (@AFP) May 20, 2025
कोरोना को लेकर सिंगापुर में हाई अलर्ट
सिंगापुर में कोविड-19 मामलों में 28% की वृद्धि हुई है। स्थिति इतनी बिगड़ गई है कि सरकार ने हाई अलर्ट घोषित कर दिया है। यहां कोविड-19 के कुल अनुमानित मामले 14,200 तक पहुंच गए हैं। इससे भी अधिक गंभीर बात यह है कि अस्पतालों में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या में भी लगभग 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
5 मई से 11 मई के बीच सिंगापुर में 25,900 नए मामले सामने आए। अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की औसत दैनिक संख्या 181 से बढ़कर 250 हो गई है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगले 2 से 4 सप्ताह में यह लहर अपने चरम पर पहुंच सकती है। स्वास्थ्य मंत्री ओंग ये कुंग ने कहा कि समय के साथ लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो गई है। उन्होंने सभी नागरिकों से टीकाकरण का नया दौर शुरू करने और बूस्टर खुराक लेने की अपील की है।
हांगकांग में कोरोना की वापसी, बुजुर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित
हांगकांग में कोविड-19 संक्रमण की एक नई लहर शुरू हो गई है। यहां स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार मार्च में पॉजिटिविटी दर 1.7 प्रतिशत थी जो अब बढ़कर 11.4 प्रतिशत हो गई है। अब तक 81 नए मामले सामने आए हैं, जिनमें से 30 लोगों की मौत हो चुकी है।
स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, मरने वालों में अधिकतर बुजुर्ग लोग थे, जिन्हें पहले से ही कुछ स्वास्थ्य समस्याएं थीं। हांगकांग से डॉ. त्सुई ने कहा कि यह वृद्धि सामूहिक प्रतिरक्षा के कारण है। इसका मतलब यह है कि एक ही स्थान पर रहने वाले अधिकांश लोगों को वैक्सीन तो लग गई है, लेकिन इसका असर अब धीरे-धीरे कम हो रहा है।
उनका कहना है कि कोविड-19 अब एक स्थानिक बीमारी की तरह व्यवहार कर रहा है जो समय-समय पर वापस आएगी। इस बार वायरस का स्वरूप थोड़ा बदल गया है और पहले से अधिक संक्रामक हो गया है।
थाईलैंड में भी स्थिति बिगड़ने लगी, जिसमें बैंकॉक सबसे अधिक प्रभावित हुआ।
थाईलैंड में कोविड-19 के कई नए मामले सामने आए हैं। बैंकॉक पोस्ट में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, थाईलैंड के रोग नियंत्रण विभाग ने पिछले सप्ताह 33,030 नए मामलों की सूचना दी। इनमें से 6,000 से अधिक मामले अकेले बैंकॉक में पाए गए हैं। इनमें से 1,918 मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। दो मौतों की भी पुष्टि हो चुकी है, एक सुखोथाई में और दूसरी कंचनबुरी में।
बैंकॉक के बाद सबसे ज्यादा मामले चोन बुरी (2,573), रेयॉन्ग (1,680), नोंथबुरी (1,482) और समुत प्राकन (1,442) में सामने आए। कोविड के मामले अब 30 से 39 आयु वर्ग के लोगों में सबसे अधिक हैं, जिन्हें पहले अपेक्षाकृत सुरक्षित माना जाता था। चूललोंगकोर्न विश्वविद्यालय के मेडिसिन संकाय के थिरा वोरत्नारत ने सोमवार को अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट किया कि यह रिपोर्ट लोक स्वास्थ्य मंत्रालय के उस बयान का खंडन करती है जिसमें कहा गया था कि स्थिति चिंताजनक नहीं है। उन्होंने कहा कि लगातार 11 सप्ताह से कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
भारत में भय बढ़ा
यद्यपि भारत में मामलों की संख्या फिलहाल कम है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देखी जा रही प्रवृत्ति चिंताजनक है। अगर सही समय पर कदम नहीं उठाए गए तो भारत भी इस नई लहर का शिकार हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में टीकाकरण का असर अब कम होने लगा है। बूस्टर डोज की जरूरत एक बार फिर बढ़ गई है, लेकिन लोग इसके प्रति लापरवाही बरत रहे हैं।