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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की पूर्व राजदूत निक्की हेली ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारतीय वस्तुओं पर भारी टैरिफ लगाने की धमकी की कड़ी आलोचना की है। हेली ने चेतावनी दी है कि इस कदम से भारत-अमेरिका संबंधों को नुकसान पहुँच सकता है, जो इस समय एक नाज़ुक मोड़ पर हैं। उन्होंने ट्रंप को चेतावनी दी कि वे चीन जैसे दुश्मन को रियायतें न दें और भारत जैसे सहयोगी के साथ संबंधों को खराब न करें।

निक्की हेली ने ट्रंप प्रशासन पर दोहरे मापदंड अपनाने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने चीन के साथ व्यापार के लिए 90 दिनों की टैरिफ छूट दी है, जबकि भारत के साथ कड़ा रुख अपनाया जा रहा है।

हेली ने एक्स (जिसे पहले ट्विटर कहा जाता था) पर लिखा, "भारत को रूस से तेल नहीं खरीदना चाहिए, लेकिन चीन, जो हमारा दुश्मन है और रूस व ईरान से तेल का सबसे बड़ा खरीदार भी है, को 90 दिनों की टैरिफ छूट मिली हुई है।" उन्होंने आगे कहा, "चीन को छूट मत दीजिए और भारत जैसे मज़बूत सहयोगी के साथ संबंध खराब मत कीजिए।" निक्की हेली लंबे समय से भारत और अमेरिका के बीच मज़बूत संबंधों की पक्षधर रही हैं। उनका मानना है कि चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए भारत जैसे लोकतांत्रिक देशों के साथ मज़बूत साझेदारी ज़रूरी है।

उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब ट्रंप ने सीएनबीसी के साथ एक साक्षात्कार में कहा था कि वह 1 अगस्त से भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ में 25 प्रतिशत की वृद्धि करेंगे। ट्रंप ने यह निर्णय भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद के संबंध में लिया है और कहा है कि यह "युद्ध मशीन को ईंधन दे रहा है।"

ट्रंप ने साक्षात्कार में कहा, "भारत के टैरिफ दुनिया में सबसे ज़्यादा हैं। वे हमारे साथ काफ़ी व्यापार करते हैं, लेकिन हम उनके साथ बहुत कम व्यापार करते हैं। हम 25 प्रतिशत टैरिफ पर सहमत हुए थे, लेकिन अब मैं इसे काफ़ी बढ़ाने जा रहा हूँ क्योंकि वे रूसी तेल ख़रीद रहे हैं।"

ट्रंप ने यह भी दावा किया कि भारत ने एक नए समझौते में अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ शून्य करने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन उन्होंने इसे नाकाफी बताया। ट्रंप ने कहा, "अगर वे उस युद्ध को वित्तपोषित कर रहे हैं जिसका हम विरोध करते हैं, तो सिर्फ़ टैरिफ शून्य करना ही काफी नहीं है।"

भारत ने अपनी ऊर्जा नीति का बार-बार बचाव किया है। भारत ने कहा है कि वह अपने राष्ट्रीय हित और किफायती कीमतों को ध्यान में रखते हुए तेल खरीदता है। विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा है कि अमेरिका और यूरोपीय देश खुद रूस के साथ व्यापारिक और ऊर्जा संबंध बनाए रखते हैं, भले ही वे दूसरों की आलोचना करते हों।